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मां और नानी के संघर्ष ने देवभूमि की इन दो बेटियों की लिखी सफलता की स्क्रिप्ट


देहरादून: जिंदगी किसी के लिए रुकती नहीं है। वो चलते रहती है और भगवान के इस उपहार को कुछ ही लोग होते है जो सही से इस्तेमाल कर पाते हैं। एक ऐसी ही कहानी है ऋषिकेश के श्यामपुर न्याय पंचायत के ग्राम सभा खदरी की दो बहनों दीपिका और हिमानी बडोला की, जिन्हें मां और नानी के  संघर्ष ने कामयाबी के शिखर पर पहुंचा दिया जहां से वो अब मिसाल बन गई हैं। मां अगर ममता का सागर है तो पिता एक आसमान।
बचपन में ही दीपिका और हिमानी ने अपने पिता को खो दिया। अपने बच्चों को इस सदमे से उभारते हुए दोनों के हौंसलों को उड़ान दी। दोनों बहनों ने खेल को अपना कर्म क्षेत्र बनाया। इसके बाद दीपिका ने हैंडबॉल और हिमानी ने बॉलीबॉल, खो-खो में नाम रोशन किया।
अपने संघर्ष की कहानी दीपिका और हिमानी बडोला की मां शोभा बडोला ने बताई। उन्होंने कहा कि शादी के कुछ साल बाद ही पति ने साथ छोड़ दिया था। दोनों बेटियों के साथ उन्हें मायके में रहने पड़ा। बेटियों की शिक्षा तथा परवरिश को लेकर वो काफी चिंता थी लेकिन मां ने उन्हें सहयोग किया। उनकी मेहनत को रंग उनकी दोनों बेटियों ने खेल के माध्यम से दिया।दोनों ने ही कक्षा चार से खेल में रुचि दिखानी शुरू कर दी थी।
मेहनत और लगन का असर भी दिखा। दोनों ने जिला और राज्य स्तरीय खेल प्रतियोगिताओं में अव्वल आकर मान बढ़ाया। बड़ी बेटी दीपिका ने हैंडबॉल और छोटी हिमानी ने वालीबॉल व खो-खो में पुरस्कार हासिल किए। नानी के देहांत के बाद दीपिका को 12वीं के बाद बीच में ही पढ़ाई छोड़नी लेकिन उसने अपना खेल जारी रखा।
वहीं हिमानी भी अपनी मां और नानी के संघर्ष को अपनी मेहनत से सिंचती रही और अब तक वॉलीबॉल और खो-खो की राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में सात बार स्वर्ण पदक जीत चुकी है। हिमानी को कई सामाजिक संस्थाओं ने सम्मानित भी किया है। वो अपनी कामयाबी का  श्रेय अपनी स्व. नानी देवेश्वरी बड़थ्वाल को देती हैं।

न्यूज सोर्स- अमर उजाला

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