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उत्तराखंड: पति की शहादत के बाद सेना में बनीं अफसर, जानिए मेजर प्रिया सेमवाल कौन हैं ?

Major Priya Semwal
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देहरादून: जब ज़िंदगी ने सबसे गहरा घाव दिया, तब उन्होंने आँसू नहीं बहाए बल्कि हिम्मत का लोहा बनकर दुनिया को दिखा दिया कि बेटियाँ किसी से कम नहीं होतीं। हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड की उस बेटी की…जिसने पति की शहादत के बाद वर्दी पहनकर न केवल अपने परिवार का बल्कि पूरे देश का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया…मेजर प्रिया सेमवाल।

शहादत से सेना तक का सफर

धोरण खास निवासी प्रिया सेमवाल का जीवन साधारण नहीं बल्कि अद्वितीय प्रेरणा से भरा हुआ है। साल 2006 में उन्होंने नायक अमित शर्मा से विवाह किया। दोनों की एक बेटी ख्वाहिश भी है। लेकिन साल 2012 में अरुणाचल प्रदेश में आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान अमित शहीद हो गए। ये हादसा किसी को भी तोड़ सकता था लेकिन प्रिया ने अपने आंसुओं को ताकत में बदला और फैसला किया कि अब वो खुद सेना की वर्दी पहनेंगी उसी वर्दी की खातिर जिसके लिए उनके पति ने बलिदान दिया था।

2014 में बनीं भारतीय सेना की अफसर

कठिन प्रशिक्षण के बाद साल 2014 में प्रिया ने चेन्नई की ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (OTA) से पास होकर भारतीय सेना की इलेक्ट्रिकल एंड मैकेनिकल इंजीनियरिंग (EME) कोर में कमीशन प्राप्त किया। वह देश की पहली महिला बनीं, जो किसी शहीद नॉन-कमिशन्ड ऑफिसर की पत्नी होते हुए सेना में अफसर बनीं। उनका यह कदम भारतीय सेना के इतिहास में एक नया अध्याय बन गया।

समंदर पर भी दिखाई बहादुरी

मेजर प्रिया की वीरता केवल ज़मीन तक सीमित नहीं रही। वर्ष 2022 में वे भारतीय सेना की पहली ऑल-वुमेन सेलबोट एक्सपीडिशन टीम का हिस्सा बनीं। इस टीम ने INSV बुलबुल नौका से गोवा, कारवार, मुंबई और कोच्चि के बीच करीब 900 नॉटिकल मील (1667 किमी) की समुद्री यात्रा की। इस मिशन में उन्होंने टीम लीडरशिप सुरक्षा और प्रबंधन का जिम्मा संभाला।

अंतरराष्ट्रीय मिशन में निभाई अहम भूमिका

उनका साहस अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी चमका। वे संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के तहत लेबनान में तैनात रहीं, जहां इजराइल-लेबनान सीमा पर उन्होंने शांति स्थापना में योगदान दिया। यह दिखाता है कि भारतीय महिला अधिकारी कितनी सक्षम और विश्वसनीय हैं।

पहली महिला अधिकारी जिन्हें मिला स्थायी कमीशन

जहां पहले महिला अफसरों को केवल शॉर्ट सर्विस कमीशन तक सीमित रखा जाता था, वहीं मेजर प्रिया को स्थायी कमीशन प्राप्त हुआ। वे उत्तराखंड की पहली महिला सैन्य अधिकारी हैं जिन्हें यह गौरव प्राप्त हुआ।

बेटियों के लिए बनीं मिसाल

मेजर प्रिया सेमवाल का जीवन हर उस बेटी के लिए प्रेरणा है जो मुश्किलों से घबराए बिना अपने सपनों को जीना चाहती है। एक मां एक पत्नी और एक फौजी के रूप में उन्होंने हर भूमिका को निभाया और साबित किया कि साहस, समर्पण और संकल्प से कोई भी मंज़िल पाई जा सकती है। उनकी इस वीरता और योगदान के लिए उन्हें उत्तराखंड सरकार की ओर से ‘तीलू रौतेली सम्मान’ से भी नवाजा गया है।

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