देहरादून: प्रदेश के नाम एक अनोखा रिकॉर्ड दर्ज हुआ है। पर्यटन के लिहाज से यह एक बड़ी कामयाबी कही जा सकती है। उत्तराखंड देश का पहला राज्य है, जहां रोपवे निर्माण के लिए एमओयू हुआ है। सात रोपवे निर्माण करने के लिए पर्यटन विभाग और सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के बीच एमओयू हुआ है। उत्तराखंड को पर्यटकों की पसंद रहा है। ऐसे में उन्हें सुविधा देने का प्रयास लगातार किया जा रहा है। इसके अलावा हर साल राज्य में लाखों की संख्या में श्रद्धालु भी पहुंचते हैं, उन्हें अपनी यात्रा पूरी करने के लिए पैदल रास्ता तय करना पड़ता है। ऐसे में रोपवे का संचालन उनके लिए राहत होगी। कहा जा रहा है कि एनएचएआई ने रोपवे बनाने के लिए नोडल विभाग बनाया गया है। डीपीआर होते ही निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा।
मुख्य सचिव उत्तराखंड डॉ.एसएस संधू की मौजूदगी में उत्तराखंड पर्यटन की ओर से अपर सचिव पर्यटन युगल किशोर पंत, सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के एनएचएलएमएल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रकाश गौड़ ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इस मौके पर प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, एनएचएलएमएल के चेयरमैन मनोज कुमार, पर्यटन विकास परिषद के वरिष्ठ शोध अधिकारी एसएस सामंत मौजूद थे।
पहले चरण में प्रदेश के सात रोपवे (केदारनाथ रोपवे, नैनीताल रोपवे, हेमकुंड साहिब रोपवे, पंचकोटी से नई टिहरी, औली से गौरसू, मुनस्यारी से खलिया टॉप और ऋषिकेश से नीलकंठ महादेव तक) के लिए डीपीआर तैयार की जाएगी। प्रदेश पर्यटन विभाग व केंद्र सरकार के बीच एमओयू किया गया है। यह पूरा काम सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की नियंत्राणाधीन नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड (एनएचएलएमएल) के माध्यम से होगा।
कई धार्मिक स्थलों पर पैदल यात्रा करनी पड़ती है। बुजुर्गों और महिलाओं को दिक्कत होती है और रोपवे के बनने के बाद वह कम हो जाएगी। इसके साथ ही देहरादून से मसूरी, पुर्णागिरी और सुरकंडा देवी रोपवे को पीपीई मोड पर संचालित होगी। सुरकंडा देवी रोपवे का संचालन साल के अंत में शुरू होने की उम्मीद है। इसके अलावा रोपवे के संचालन से मोटर वाहन का संचालन कम होगा जो प्रदूषण को भी नियंत्रण में रखेगा। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि रोपवे निर्माण होने से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। रोपवे उत्तराखंड के एडवेंचर स्पोर्ट्स को भी बढ़ावा देगा।