देहरादून। विश्व प्रसिद्ध हिम क्रीड़ा स्थल औली को लेकर राज्य सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। अब औली के पर्यटन विकास व खेल सुविधाओं में इजाफे के लिए ‘औली विकास प्राधिकरण’ का गठन किया जाएगा। धामी मंत्रिमण्डल की बैठक में आज इस प्रस्ताव को हरी झण्डी दे दी गई है। सरकार के इस फैसले से खेल प्रेमियों और जोशीमठ क्षेत्र के व्यवसायियों में खुशी की लहर है।
औली उत्तराखंड का एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है जो दुनिया भर में स्कीइंग के लिए प्रसिद्ध है। समुद्र तल से तकरीबन 3000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह प्राकृतिक स्थल देश ही नहीं विदेश के अव्वल स्कीइंग स्थलों में से एक है। यही वजह है कि फेडरेशन ऑफ इंटरनेशनल स्की (एफआईएस) ने स्कीइंग रेस के लिए औली को अधिकृत किया हुआ है। वर्ष 2011 में सैफ विंटर गेम्स के आयोजन से पहले यहां चेयर लिफ्ट, स्नो मेकिंग मशीन, कृत्रिम झील आदि सुविधाएं विकसित की गईं लेकिन गेम ओवर हो जाने के बाद इन मशीनों और उपकरणों को उन्हीं के हाल पर छोड़ दिया गया। रखरखाव की जिम्मेदारी किसी एक विभाग के पास न होने के कारण करोड़ों के ये उपकरण खराब हो गए। इसके बाद से खिलाड़ी और खेल प्रेमी औली के योजनाबद्ध विकास के लिए अलग से एक संस्था के गठन की मांग वर्षों से कर रहे हैं। उनकी इस मांग को धामी सरकार अब पूरा करने जा रही है। बीते 8-9 अप्रैल को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जोशीमठ में राष्ट्रीय स्तर की ‘औली मैराथन’ में प्रतिभाग करने पहुंचे थे तो उस वक्त उन्होंने युवाओं से वायदा किया था कि औली के विकास के लिए उनकी सरकार जल्द ही ठोस कदम उठाएगी। प्राधिकरण का गठन होने से औली में पयटन और खेल गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
कारोबारी ने दी प्रतिक्रिया
“औली के विकास के लिए अलग से प्राधिकरण बनाने का निर्णय बहुत ही सराहनीय है। वर्षों पुरानी यह मांग पूरी होने से अब औली का सुनियोजित विकास हो सकेगा।
“अब तक औली को जो भी दिया है प्रकृति ने दिया है। सरकार ने एक रोपवे के अलावा औली में कोई भी स्थायी सुविधा विकसित नहीं की। औली विकास प्राधिकरण के गठन का निर्णय शानदार है। इसके लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अभिनन्दन के पात्र हैं।”
“पर्यटन, खेल ओर साहसिक गतिविधियों को बढ़ावा देना हमारी सरकार की शीर्ष प्राथमिकता में शामिल है। हाल ही में हमारी सरकार ने ‘मुख्यमंत्री खिलाड़ी प्रोत्साहन योजना’ भी शुरू की है। जहां तक औली की बात है यह हमारे लिए प्रकृति की ओर से दिया गया नायाब तोहफा है। इसको संवारने और विकसित करने में हम कोई कसर बाकी नहीं रखेंगे।”