देहरादून: यदि आप अपने काम को मेहनत, लगन और अनुशासन के साथ करते हैं तो उस काम में आपको महारत तो हासिल होती ही है और साथ ही आपकी कार्यशैली पूरे विश्व के सामने मिसाल भी बन जाती है। उत्तराखंड में एक ढोल बजाने वाले व्यक्ति को अब डॉक्टरेट की मानद उपाधि मिलने जा रही है। हम गढ़वाल के सोहन लाल की बात कर रहे हैं।
टिहरी पुजारगांव चंद्रवदनी के मूल निवासी 57 वर्षीय सोहनलाल ढोल वादन के साथ साथ गोरिल, नागराजा, दिशा धांकुड़ी, बगड़वाल जैसे सभी आयामों में पारंगत हैं। अब सोहनलाल को गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में डॉक्टरेट की मानद उपाधि मिलने जा रही है।
दीक्षा समारोह में ढोल सागर विद्या के मनीषी सोहनलाल को यह सम्मान प्राप्त होगा उल्लेखनीय है कि सोहनलाल 5 साल की उम्र से ढोल वादन करते हैं और यह कला उन्होंने अपने पिता ग्रंथी दास से सीखी है। साथ ही सोहनलाल ने अपनी माता लौंगा देवी में चैत गीत, नागराजा गीत गाना भी सीखा है।
गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय लोक कला केंद्र विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर डीआर पुरोहित बताते हैं कि अमेरिका की यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर भी सोहनलाल से ढोल सादर विद्या की ट्रेनिंग लेकर विदेशों में ढोल विद्या का प्रचार प्रसार कर रहे हैं। इस मौके पर सोहनलाल का कहना है कि उनको मिलने वाले सम्मान से अन्य कलाकारों को प्रोत्साहन मिलेगा।