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पलायन के मुद्दे पर बनी उत्तराखंड की फिल्म पायर को मिला सर्वश्रेष्ठ ऑडियंस अवार्ड, आप भी दें बधाई


Uttarakhand Film Pyre: Uttarakhand Brain Drain: Excellent Movie: Inernational Award:

देवों की नगरी उत्तराखंड में टैलेंट की कोई कमी नहीं है। यही कारण है कि फिल्म जगत हो या कोई और लोकप्रिय मंच उत्तराखंड ने हमेशा अपने टैलेंट और मुद्दों के आधार पर अपना स्थान और सम्मान खुद प्राप्त किया है। आज हम बात करेंगे उत्तराखंड के पलायन पर बनी फिल्म पायर की। इस फिल्म ने सर्वश्रेष्ठ ऑडियंस का पुरूस्कार प्राप्त कर पूरे प्रदेश को गौरवान्वित किया है। पहाड़ों में होने वाला पलायन चर्चाओं में तो होता है लेकिन इसे समझ पाना एक या दो दिनों की बात नहीं है। पहाड़ों के जीवन एवं वहां के लोगों को होने वाली कठिनाइयां इस व्यापक फिल्म का मुख्य हिस्सा रही हैं। इस फिल्म की शूटिंग चोपता गांव में हुई है।

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पहली बार में ही मारी बाजी

एस्टोनिया के टोलीन शहर में फेस्टिवल के पुरस्कार वितरण कार्यक्रम में पायर फिल्म सुर्ख़ियों में रही। विदेश में उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों पर आधारित इस फिल्म को जनता ने खूब पसंद किया। साथ ही जब इसे बेस्ट ऑडियंस के पुरूस्कार से सम्मानित किया गया तो पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा। बता दें कि इस फिल्म को विनोद कापडी ने निर्देशित किया है। फिल्म पायर को स्टालिन ब्लैक नाइट्स इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ ऑडियंस अवार्ड से नवाजा गया है। फिल्म के निर्देशक ने बताया कि इस फिल्म में अभिनय करने वाले बुजुर्ग कोई अभिनेता नहीं हैं। बल्कि उन्होंने तो अपने जीवन में पहली बार कैमरा देखा है। तभी उनकी नेचुरल एक्टिंग केवल राज्य ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी पसंद कि जा रही है।

कहाँ के हैं कलाकार कहाँ हुई शूटिंग?

पहली बार कैमरा देखने वाले बुजुर्गों ने इस फिल्म के कारण पहली बार हवाई जहाज में बैठकर पहली बार विदेश यात्रा की। संयोग देखिए कि पहली ही बार में उन्हें अवार्ड भी मिल गया। पहाड़ों के जीवन पर बनी पायर फिल्म एक ऐसे गंभीर विषय पर बनी है जिसे समझने और रोकने के लिए सरकार से लेकर स्थानीय निवासी तक प्रयास कर रहे हैं और वो विषय है पलायन। बता दें कि इस फिल्म के सभी कलाकार उत्तराखंड के ही हैं। इस फिल्म की शूटंग चोपता के अलावा बेलकोट, पुरानाथल, रीठा, चौकोड़ी, गराउ, नाचनी में लगभग दो माह तक चली थी।

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