देहरादून: राज्य में पशुपालकों के लिए लंपी त्वचा रोग परेशानी का सबब बना हुआ है। गाय व भैंसों में यह रोग ( Lumpy Skin Disease) गंभीर रूप से फैल रहा है। जिसके बाद शासन ने भी बड़ा कदम उठाया है और गो व महिष वंशीय पशुओं के परिवहन पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। केवल पशु चिकित्सक के प्रमाणपत्र के बाद ही परिवहन की अनुमति मिल सकेगी।
उल्लेखनीय है कि पशुओं में लंपी रोग के कारण हरिद्वार जिले में सर्वाधिक 3354, देहरादून जिले में 370, पौड़ी में 26 और टिहरी जिले में चार पशु बीमार पड़े हैं। अबतक कुल 67 की मृत्यु हो चुकी है। इसके लिए टीकाकरण शुरू हो गया है। बता दें कि हरिद्वार जिले में 8428 और देहरादून में 1047 पशुओं का टीकाकरण अब तक हो चुका है।
एक पशु से दूसरे पशु में फैलने वाली इस बीमारी की रोकथाम हेतु शासन ने पशुओं के परिवहन पर रोक लगाई है। सचिव पशुपालन डा बीवीआरसी पुरुषोत्तम की मानें तो अन्य राज्यों से लाए जाने वाले पशुओं के मामले में भी फिलहाल पशु चिकित्सक का प्रमाणपत्र देखने के बाद ही पशुओं के परिवहन की अनुमति मिलेगी।
बता दें कि लंपी रोग एक संक्रामक बीमारी है। यह रोग मच्छर, मक्खी, जूं इत्यादि के काटने या सीधा संपर्क में आने अथवा दूषित खाने या पानी से फैलता है। बीमार होने पर बुखार के साथ पशु कमजोरी महसूस करता है और त्वचा पर चकत्ते हो जाते हैं। सचिव पशुपालन डा पुरुषोत्तम ने बताया कि इसकी रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं।
शासन द्वारा पशुपालकों से खास निवेदन किया गया है। शासन की अपील है कि अपने पालतू जानवरों से संक्रमित पशुओं को दूर रखना जरूरी है। साथ ही मवेशियों के रहने वाली व आसपास की जगहों की नियमित सफाई करना भी अनिवार्य है। इसके अलावा पालतू जानवर जहां रहते हैं वहां मच्छरों और मक्खियों को न पनपने देने का अनुरोध किया गया है।