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उत्तराखंड में  अतिक्रमण पर फिर शुरू होगा विशेष अभियान, अवैध धार्मिक स्थलों की सूची तैयार

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देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने एक बार फिर सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण और अवैध कब्जों के खिलाफ बड़ा अभियान छेड़ा है। खासकर उन मामलों पर फोकस किया जा रहा है, जिनमें अदालतों से कब्जा हटाने के आदेश आए हैं या जहां पहले दिया गया स्टे आदेश अब समाप्त हो चुका है।

लैंड जिहाद पर जीरो टॉलरेंस

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पष्ट कर दिया है कि “लैंड जिहाद” जैसे मामलों में कोई नरमी नहीं बरती जाएगी। इसी नीति के तहत प्रदेशभर में वन भूमि पर बने अवैध धार्मिक ढांचों और कब्जों को ध्वस्त किया जा रहा है।

335 धार्मिक अतिक्रमण ध्वस्त

वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार अब तक 335 धार्मिक अतिक्रमण हटाए जा चुके हैं। इनमें से करीब 300 अवैध मज़ारें थीं, जिन्हें वन भूमि से हटाया गया। इसके अलावा कुछ मंदिर और अन्य धार्मिक ढांचे भी अतिक्रमण की श्रेणी में पाए गए और तोड़े गए।

1450 हेक्टेयर भूमि मुक्त

पिछले डेढ़ साल में राज्य सरकार ने लगभग 1450 हेक्टेयर भूमि को अवैध कब्जों से मुक्त कराया है। इस अभियान की निगरानी के लिए आईएफएस अधिकारी पराग मधुकर धकाते को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। धकाते के अनुसार अदालतों के आदेशों और विभागीय स्तर पर मिली शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई की जा रही है।

विभागीय सख्ती और तयशुदा प्रक्रिया

वन विभाग ने सभी डीएफओ को एक तयशुदा फॉर्मेट उपलब्ध कराया है, जिसके आधार पर क्षेत्रवार अतिक्रमण का ब्यौरा जुटाया जा रहा है। सरकार ने साफ कर दिया है कि वन भूमि पर किसी भी तरह का अवैध कब्जा कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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