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आ गई खुशखबरी, देवभूमि की डॉक्टर बहू लुबना ने जमाया मिसेज इंडिया यूनिवर्स के खिताब पर कब्जा


हल्द्वानी: बच्चे हो या युवा या फिर नौकारी पेशा लोग उत्तराखण्ड की पीढ़ी तेजी से आगे बढ़ रही है। युवाओं की कामयाबी बड़ो को प्रोत्साहित कर रहे है , तो बड़े भी अपने अंदर की कला को बाहर लाकर दुनिया के सामने उत्तराखण्ड की ताकत का परिचय दे रहे हैं। एक बार फिर उत्तराखण्ड की  बहू ने अपनी कामयाबी से ऐसा लोहा मनवाया कि अब वो विदेशों में अपना डंका बजाने को तैयार है।

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रुद्रपुर की प्रकाश डेंटल क्लीनिक की दत्त चिकित्सक डॉक्टर लुबना बिर्रिंग डामेसाई संस्था द्वारा आयोजित मिसेज इंडिया शी इज इंडिया प्रतियोगिता में भाग लेकर मिसेज इंडिया का खिताब पर कब्जा जमा पूरे राज्य का नाम रोशन किया है। इस कामयाबी के बाद अब वो दिसंबर में फिलीपीन्स की राजधानी मनिला में होने वाले मिसेज यूनिवर्स इवेंट के लिए भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी।  डॉक्टर लुबना बिर्रिंग का दो वर्ष का बेटा भी है उसके बाद भी उन्होंने अपनी कला को मरने नहीं दिया और कामयाबी प्राप्त की, ये राज्य की महिलाओं के लिए उदाहरण भी है।

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मूल रूप से बरेली की रहने वाली लुबना (35) का विवाह आज से आठ वर्ष पूर्व रुद्रपुर ओमेक्स कालोनी निवासी दंत चिकित्सक डॉ. विंदजीत सिंह बिर्रिंग से हुआ था।  बीते सोमवार को दिल्ली के गुरुग्राम स्थित फाइव स्टार द उमराव होटल में 45 प्रतिभागियों के बीच डॉ. लुबना ने विभिन्न चरणों की बाधाओं को पार कर अंतिम पांच में जगह बनाई।

इस दौरान निर्णायक मंडल में फिल्म स्टार कुनाल कपूर, संगीता बिजलानी अजहरुद्दीन, आशका गोरादिया, लक्ष्मी शेषाद्री, रिचा सिंह अवनी गांधी वर्मा, श्वेता अथवाल और रीता गंगवानी ने डॉ. लुबना की बुद्धिमत्ता से प्रभावित होकर उन्हें प्रतियोगिता का विनर घोषित किया। साथ ही डॉ. लुबना को ‘ब्यूटी विद ए पर्पज’ से भी नवाजा गया। इस दौरान दूसरे स्थान पर मुंबई की डेलनाज बलसारा और तीसरे स्थान पर पुणे की डॉ. मनीषा रहीं। इस दौरान डॉ. लुबना ने सफलता का श्रेय डॉ. संगीता गायकवाड को दिया।

चिकित्सक होने के बावजूद लुबना के मन में समाज के लिए कुछ करने का जुनून था। इस इच्छा की पूर्ति के लिए उन्हें पति डॉ. बिर्रिंग और सास का भरपूर साथ मिला और लुबना ने लगभग ग्यारह देशों की यात्राएं करने के साथ वहां न सिर्फ अपनी चिकित्सीय सेवाएं उपलब्ध करायी बल्कि विदेशों की संस्कृति और कार्यशैली व महिलाओं के प्रति उनके सम्मान को आत्मसात कर भारत में भी कुछ करने की ठानी और यही कारण है कि उन्हें आज सफलता मिली है।

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