हल्द्वानी:भूपेंद्र रावत: कुछ समय एक फ़िल्म आयी थी जिसका नाम था उड़ता पंजाब, इस फ़िल्म में दिखाया गया था की कैसे युवा नशे के आदी हो रहे हैं और जो उम्र बचपन मे खेलने कूदने की होती है उस उम्र में वह नशे में घुलकर अपनी जिंदगी को तबाह करने में लगे हुए हैं, चौकाने वाली बात तो यह है की अब देवभूमि की बेटियां भी नशे की गिरफ्त में आ चुकी हैं, क्या है नशे का जाल आइये समझते हैं।
नशे के खिलाफ नैनीताल पुलिस का अभियान
कई अपराधों को लेकर पुलिस ने जब कई युवतियों से पूछताछ की तो सामने आया की लगभग 95 फ़ीसदी युवतियां इस समय नशे की गिरफ्त में हैं, अधिकतर स्मैक, शराब की आदि हैं, यही नही पैसे के लालच में अपने हद से आगे गुजरने से भी गुरेज नहीं करती जिसके लिए वे कई बाहरी जगहों का भी रुख कर चुकी हैं, हुक्का बार, बियर बार, युवक युवतियों के अड्डे हैं। कम उम्र में ज्यादा पाने की चाहत ने टीन एजर्स को बर्बाद कर रख दिया है।पुलिस ने भी यह माना की यह सामाजिक अपराध के रूप में आगे बढ़ता जा रहा है, जिसको देखते हुए स्कूल कॉलेज में सेमिनार कर बच्चो को नशे के प्रति जागरूक किया जा रहा है।
क्या कहते हैं मनोचिकित्सक
मनोचिकित्सक डॉक्टर नेहा शर्मा कहती है कि टीन एजर्स को नशे के अंजाम की चिंता नही है, लिहाज़ा बच्चो को घर, स्कूल में टीचर और अभिभावकों के द्वारा जागरूक करना बेहद जरूरी है। जिसमे यह बताना जरूरी है की बच्चे कुछ भी करने से पहले अंजाम सोचें, इसके अलावा अभिभावकों को चाहिए की बच्चो की दोस्ती, और वे सोशल मीडिया पर क्या काम कर रहे है इस पर नजर रखना आवश्यक हो गया है।
वहीं अभिभावक मानते हैं की बढ़ते नशे के कारोबार के लिए पुलिस प्रशासन जिम्मेदार हैं। क्योंकि नशे की गिरफ्त में जिस तरह से युवा पीढ़ी आती जा रही है उससे यह तय है की आने वाले दिन यूवाओ के भविश्व के लिहाज से अच्छे नही हैं। जबकि दूसरी तरह अभिभावक भी बच्चो की गतिविधियों पर पैनी निगाह रखें जिससे बच्चो की दिनचर्या तय हो सके। युवा पीढ़ी का नशे की गिरफ्त में आना चिंता का विषय है लेकिन उससे भी बड़ी चिंता का विषय यह की बेटियां भी पूरी तरह नशे के जाल में फंस चुकी हैं, लिहाज़ा पुलिस, अभिभावकों समेत समाज की भी जिम्मेदारी तय होने का वक़्त आ गया है की अपने बच्चो को नशे के बारे में बताएं जिससे वे नशे से दूर रहे और अपराध की दुनिया मे कदम ना रखें।