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उत्तराखंड के शहरी इलाकों में नहीं बनेंगे होम स्टे, केवल ग्रामीणों को मिलेगा लाभ, आदेश जारी


UTTARAKHAND NEWS : उत्तराखंड के शहरी इलाकों में होम स्टे का निर्माण नहीं होगा। होम स्टे केवल ग्रामीण क्षेत्रों में बनाए जाएंगे। इस संबंध में शासन ने आदेश भी जारी कर दिया है। होम स्टे योजना की शुरुआत उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों से पलायन को रोकने के लिए की गई थी। गांव में गांवों में होम स्टे बनने से युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इसके साथ ही पलायन रूकेगा और गांव भी आबाद होने लगेगा।

उत्तराखंड में घूमने आने वाले होम स्टे में रूकना पसंद करते हैं। पहला उन्हें घर जैसा माहौल मिलता है दूसरा होम स्टे होटलों के मुकाबले सस्ता है। उत्तराखंड में करीब 5 हजार होम स्टे संचालित हो रहे हैं। शासन के आदेश से पहले नगरीय, पालिका क्षेत्रों में पंडित दीनदयाल योजना के तहत होम स्टे का निर्माण किया जा सकता था। लेकिन अब योजना में बदलाव किया गया है और केवल ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को ही इस योजना का लाभ मिलेगा। इस संबंध में शासन ने पर्यटन विभाग को भी निर्देश दे दिए हैं।

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होम स्टे बनाने के लिए सरकार मदद करती है। दीनदयाल उपाध्याय होम स्टे योजना के तहत पर्वतीय क्षेत्रों में होम स्टे बनाने के लिए अधिकतम 30 लाख रुपये का बैंक ऋण 50 प्रतिशत सब्सिडी पर मिल सकता है। होम स्टे योजना की तरफ गौर करें तो वित्तीय वर्ष 2018-19 में प्रदेश के सभी जिलों में 965 होम स्टे पंजीकृत हुए थे। वर्ष 2021-22 में यह आंकड़ा बढ़कर 3964 पहुंच गया।

उत्‍तराखंड के पहाड़ी इलाकों में पलायन को रोकने में होम स्‍टे योजना काफी अहम मानी जा रही है। पर्यटकों को उत्‍तराखंड की संस्‍कृति और परंपरागत व्‍यंजनों के बारे में पता चल रहा है। इसके अलावा कई ऐसे गांव हैं, जहां होम स्टे योजना के आने के बाद खाली पड़े घर फिर से आबाद हो गए हैं।

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