
पौड़ी: प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की स्थिति पर सवाल खड़े करती एक शर्मनाक तस्वीर सामने आई है। पौड़ी जिला अस्पताल में बीती शुक्रवार की शाम बिजली गुल हो गई और करीब एक घंटे तक मरीजों को मोबाइल फोन की टॉर्च की रोशनी में इलाज कराना पड़ा। अस्पताल में मौजूद जनरेटर में डीजल की कमी और तकनीकी खराबी के कारण बिजली की आपूर्ति बहाल नहीं हो सकी। इस दौरान अस्पताल पहुंचे मरीजों और उनके परिजनों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा।
स्थानीय पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष ऋत्विक असवाल ने बताया कि उन्होंने अपनी बीमार बच्ची को इलाज के लिए अस्पताल लाया था…लेकिन बिजली गुल होने के कारण जनरेटर नहीं चल पाया और डॉक्टर मोबाइल टॉर्च की रोशनी में मरीजों की जांच करते रहे। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही लोगों में गहरा आक्रोश फैल गया है।
स्थानीय लोग जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से इस मामले की जांच और अस्पताल में मूलभूत सुविधाओं को तत्काल दुरुस्त करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह लापरवाही केवल पौड़ी ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के ग्रामीण अस्पतालों की स्थिति का प्रतिबिंब है।
पौड़ी जिला अस्पताल के प्रभारी पीएमएस डॉ. सुनील शर्मा ने स्वीकार किया कि बिजली आपूर्ति बाधित होने पर जनरेटर संचालन के निर्देश थे, लेकिन तकनीकी खराबी के कारण असुविधा हुई। उन्होंने संबंधित कर्मचारियों को लापरवाही पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी।
यह पहला मौका नहीं जब अस्पताल में इस तरह की समस्या आई है। जनवरी में एक बस हादसे के दौरान भी बिजली कटने से डॉक्टरों ने मोबाइल की रोशनी में घायलों का इलाज किया था। विद्युत वितरण खंड के एसडीओ गोविंद सिंह रावत ने बताया कि जनरेटर की खराबी और डीजल की कमी की शिकायतें कई बार मिली हैं और इस पर जल्द ही जिला प्रशासन को पत्र भेजा जाएगा।
स्थानीय लोग प्रदेश स्वास्थ्य मंत्री के जिले से होने के बावजूद स्वास्थ्य व्यवस्था की बदतर स्थिति पर नाराजगी जता रहे हैं। उन्होंने पूछा कि अगर जिला अस्पताल की हालत ऐसी है तो दूरदराज के इलाकों के अस्पतालों का हाल क्या होगा।
पौड़ी के सीएमओ डॉ. शिव मोहन शुक्ला ने कहा कि अस्पताल प्रशासन को पहले भी निर्देश दिए जा चुके हैं और इस बार भी स्पष्टीकरण मांगा गया है। यदि संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।






