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उत्तराखंड में तीन और मजारों को गिराया गया, आखिर क्या है सरकार का प्लान !

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Uttarakhand: Illegal tomb demolished: उत्तराखंड सरकार द्वारा अवैध धार्मिक संरचनाओं को हटाने का अभियान लगातार तेज होता जा रहा है। ताजा कार्रवाई में नैनीताल जिले के रामनगर और ऊधमसिंह नगर जिले के काशीपुर क्षेत्र में कई अवैध मजारों को प्रशासन ने ध्वस्त कर दिया। अधिकारियों के अनुसार ये मजारें निजी और सरकारी भूमि पर बिना अनुमति के बनाई गई थीं और दस्तावेज मांगे जाने पर संचालक कोई वैध कागजात प्रस्तुत नहीं कर पाए।

रामनगर में तीन मजारें हटाई गईं

रामनगर उपजिला मजिस्ट्रेट (एसडीएम) प्रमोद कुमार के नेतृत्व में राजस्व और पुलिस की संयुक्त टीम ने ग्राम लूटाबढ़, शिवलालपुर-रियूनिया और मोहल्ला चोरपानी में बनी तीन मजारों को हटाने की कार्रवाई की। करीब चार घंटे चली इस कार्रवाई के दौरान स्थानीय जमीन मालिकों और संचालकों से पूछताछ की गई। प्रशासन ने बताया कि जमीन मालिकों ने स्वयं अपनी भूमि से अवैध संरचनाएं हटाने की मांग की थी।

अधिकारियों ने बताया कि इस कार्रवाई से पहले संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर दस्तावेज प्रस्तुत करने का समय दिया गया था। तय समयसीमा समाप्त होने के बाद जब कोई वैध प्रपत्र नहीं मिला, तो मजारों को ध्वस्त कर दिया गया।

काशीपुर में मंदिर भूमि पर बनी मजार पर बुलडोजर

इसी क्रम में काशीपुर तहसील के ग्राम कचनाल गुसाईं में मंदिर की भूमि पर अवैध रूप से निर्मित एक मजार को सुबह प्रशासन ने भारी पुलिस बल की मौजूदगी में हटवा दिया। एसडीएम अभय प्रताप सिंह ने बताया कि इस मामले में 27 अगस्त को नोटिस जारी किया गया था। निर्धारित अवधि में दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए जाने पर यह कार्रवाई की गई।

राज्यव्यापी अभियान

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर पूरे उत्तराखंड में अवैध धार्मिक संरचनाओं के खिलाफ यह विशेष अभियान चलाया जा रहा है। आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार अब तक 553 अवैध धार्मिक संरचनाएं, जिनमें से अधिकांश मजारें थीं, ध्वस्त की जा चुकी हैं। इसके साथ ही सरकार लगभग 9,000 एकड़ से अधिक सरकारी भूमि को अवैध कब्जों से मुक्त करा चुकी है।

सरकार का कहना है कि धार्मिक स्थलों का सम्मान किया जाएगा, लेकिन धार्मिक नाम पर जमीनों पर कब्जा किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है। अधिकारियों के अनुसार हर मामले में पहले नोटिस और सुनवाई की प्रक्रिया पूरी की जाती है और केवल वैधता सिद्ध न होने पर ही कार्रवाई की जाती है।

इन कार्रवाइयों से क्षेत्रीय स्तर पर मिलेजुले प्रतिक्रियाएँ सामने आ रही हैं। कुछ स्थानीय लोग इसे भूमि संरक्षण और कानून-व्यवस्था की दिशा में मजबूत कदम मान रहे हैं, जबकि कुछ समुदाय इसे धार्मिक भावनाओं से जुड़ा मामला बताकर असंतोष भी जता रहे हैं। प्रशासन का कहना है कि पूरी प्रक्रिया कानूनी दायरे में की जा रही है और किसी भी प्रकार की शांति भंग न हो, इसका विशेष ध्यान रखा जा रहा है। सरकार ने साफ संकेत दिए हैं कि धार्मिक संरचनाओं के नाम पर अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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