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फिर याद आई 2013 की केदारनाथ त्रासदी, चमोली आपदा ने हरे किए ज़ख्म


हल्द्वानी: प्रदेश में आज सात साल सात महीने और 25 दिन बाद एक और आपदा ने दस्तक दी है। केदारनाथ आपदा ने सबकी रूह कंपा कर रख दी थी तो एक बार फिर उत्तराखंड के चमोली में आई आपदा ने लोगों को रोने बिलखने पर मजबूर कर दिया है। बता दें कि चमोली जिले के जोशीमठ में ग्लेशियर फटने की वजह से धौलीगंगा नदी में बाढ़ आ गई। जिसके बाद कई एक नदियों में पानी का लेवल बढ़ गया। कई लोगों के बाढ़ में बहे जाने की खबरें हैं। दस लाशें भी अबतक मिली हैं और 16 लोगों को सुरक्षित निकाला भी गया है।

बहरहाल देवभूमि में 2013 केदारनाथ आपदा के बाद चमोली में आई यह आपदा भी काफी डरा रही है। केदारनाथ आपदा 16 और 17 जून 2013 को घटी थी। तब यहां इतने भयानक दृश्य देखथे गए ते कि पूरी दुनिया ने अपनी नज़रें और दुआएं उत्तराखंड के लिए लगा रखी थी। आपदा के वक्त अतिवृष्टि व मंदाकिनी नदी में आई बाढ़ के कारण 17 जून 2013 को लगभग तीन हजार तीर्थ यात्री सोनप्रयाग व मुंडकट्या के बीच फंस गए थे। सोन गंगा नदी का पुल बहने से फंसे लोगों को नदी पार करने में दिक्कतें हो रही थी।

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मंजर यह था कि हज़ारों घरों के चिराग बुझ गए थे। कई एक लोग घायल हो गए थे। केदारघाटी से लौटी राजधानी के डाक्टरों की टीम का कहना था कि घाटी में महाविनाश देखकर पौराणिक कथाओं में बताए गए शिव तांडव के दृश्य ताजा हो गए थे। केदारनाथ आपदा के दौरान आई समस्या इतनी विकट थी कि लोग ज़िंदगी की भीख मांगते नहीं थक रहे थे। उस समय की बात करें तो लोग बताते हैं कि आपदा के दौरान:-

1. घाटी में लगातार भूस्खलन हो रहा था।

2. रातों में भयानक आवाजें सुनाई देती थीं।

3. चट्टानों के गिरने से तेज धमाका होता था।

4. 12 फुट मलबे में दबी लाशों पर चलकर ही राहत कार्य किया जाता था।

5. मलबे में कितने लोग दबे हैं इसका अंदाजा ही नहीं था। वहां मौजूद जानवरों का मिजाज उग्र हो गया था।

बहरहाल अब हालात चमोली की आपदा के बाद भी खराब नज़र आ रहे हैं। अब तक दस जानें जा चुकी हैं। ना जाने कितने ही लोग बाढ़ में बह चुके हैं। मंजर बहुत डरावने हैं। पुलिस और रेस्क्यू की टीमें अपने कामों मे जुटी हुई हैं। कुल मिलाकर इस आपदा ने केदारनाथ आपदा के ज़ख्मों को एक बाऱ फिर हरा कर दिया है। उम्मीद यही है कि कम से कम जान हानि हो और लोग सुरक्षित रहें।

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