Uttarakhand News

आर्थिक रूप से ज़ख्मी उत्तराखंड रोडवेज के लिए सरकार ने दिया 126 करोड़ का मरहम


देहरादून: कोरोना ने रोडवेज को जो चोट पहुंचाई है, उसके लिए मरहम बनकर उत्तराखंड सरकार बजट लाई है। घाटे में चल रहे रोडवेज के लिए सरकार ने 126 करोड़ रुपए का बजट जारी किया है। पिछले बजट की तुलना में यह 16 करोड़ रुपए अधिक है। पर्वतीय मार्ग पर संचालन से घाटे की मद में की जाने वाली मदद को भी सरकार ने बढ़ाया है। जिसके लिए रोडवेज कर्मचारियों ने सरकार का आभार जताया है। हल्द्वानी आइएसबीटी के लिए भी 10 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं।

लिहाजा रोडवेज का सालाना घाटा 250 करोड़ का है, जो कि सरकार की बजट से पूरा नहीं होगा। मगर इसे आधा करना भी एक बेहतर प्रयास है। चुनावी वर्ष में सरकार ने बजट को संतुलित रखने की कोशिश की है। आपके बता दें कि इस मदद के अलावा बसों की खरीद को लिए गए ऋण का सालाना 10 करोड़ ब्याज सरकार चुकाती रहेगी।

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आपको याद होगा कि सरकार की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं के तहत मुफ्त यात्रा को लेकर रोडवेज कर्मचारियों और सरकार में विवाद था। सबसे ज़्यादा विरोध पर्वतीय मार्गों पर बसों के संचालन से रोडवेज को हो रहे घाटे को लेकर थे। अब सरकार ने सुलह करते हुए इस मद में धनराशि बढ़ा दी है।

पर्वतीय मार्गों पर संचालन से घाटे की मद में की जाने वाली मदद को सरकार ने 35 करोड़ रुपए से बढ़ा कर सीधे 60 करोड़ रुपए कर दिया है। इसके लिए कर्मचारी यूनियन ने सरकार से मांग की थी। इसके अलावा राज्य में बस अड्डों के निर्माण के लिए 26 करोड़ रुपए का प्राविधान किया गया है। जिससे बस अड्डों के विस्तार और सुधार में मदद मिलेगी। जिसमें हल्द्वानी के आइएसबीटी के लिए भी बजट दिया गया है। इसके लिए 10 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं। इस बजट में सरकार ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति को लेकर रोडवेज को अलग से 10 करोड़ की मदद दी है।

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रोडवेज के कर्मचारी भी खुश नज़र आ रहे हैं। उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के प्रदेश महामंत्री अशोक कुमार चौधरी ने सरकार को धन्यवाद किया। साथ ही कहा कि सरकार को अब रोडवेज की परिसंपत्ति के मामले भी सुलझाने चाहिए। बता दें कि यदी परिसंपत्ति के बंटवारे में यूपी से धनराशि मिलती है तो रोडवेज का घाटा दूर हो जाएगा। इसी दौरान रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री दिनेश पंत ने कहा सरकार की मदद को संजीवनी बताया।

रोडवेज के लिए बजट

मद                        धनराशि

पर्वतीय घाटा                        60 करोड़

मुफ्त यात्रा योजनाएं                20 करोड़

बस पर ऋण                       10 करोड़

स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति                10 करोड़

अन्य बस अड्डे                      10 करोड़

हल्द्वानी आईएसबीटी                10 करोड़

रामनगर बस अड्डा                  3 करोड़

अल्मोड़ा बस अड्डा                  2 करोड़

नरेंद्रनगर बस अड्डा                 1 करोड़

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लिहाजा रोडवेज का सालाना घाटा 250 करोड़ का है, जो कि सरकार की बजट से पूरा नहीं होगा। मगर इसे आधा करना भी एक बेहतर प्रयास है। चुनावी वर्ष में सरकार ने बजट को संतुलित रखने की कोशिश की है। आपके बता दें कि इस मदद के अलावा बसों की खरीद को लिए गए ऋण का सालाना 10 करोड़ ब्याज सरकार चुकाती रहेगी।

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पर्वतीय मार्गों पर संचालन से घाटे की मद में की जाने वाली मदद को सरकार ने 35 करोड़ रुपए से बढ़ा कर सीधे 60 करोड़ रुपए कर दिया है। इसके लिए कर्मचारी यूनियन ने सरकार से मांग की थी। इसके अलावा राज्य में बस अड्डों के निर्माण के लिए 26 करोड़ रुपए का प्राविधान किया गया है। जिससे बस अड्डों के विस्तार और सुधार में मदद मिलेगी। जिसमें हल्द्वानी के आइएसबीटी के लिए भी बजट दिया गया है। इसके लिए 10 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं। इस बजट में सरकार ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति को लेकर रोडवेज को अलग से 10 करोड़ की मदद दी है।

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रोडवेज के लिए बजट

मद                        धनराशि

पर्वतीय घाटा                        60 करोड़

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स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति                10 करोड़

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