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कुमाऊं के लोग दूर रहे घोड़ो से, फैल रही जानलेवा बीमारी , पहले भी मरे थे 11 घोड़े


देहरादूनः गर्मियों में कई बीमारियां भी दस्तक देती है। इस ही क्रम में जानवरों को भी कई जानलेवा बीमारियां हो रही है, जिसमें घोड़ो-खच्चरों की संख्या सबसे अधिक है। इस बार भी कुमाऊं के घोड़े-खच्चर ग्लैंडर्स नामक बीमारी हो रही है। पशुपालन और वन विभाग ने चेतावनी जारी की है। घोड़ों के सीरम की सैंपलिंग के आदेश भी दिए हैं। राहत की बात यह है कि मार्च तक लिए गए 88 सैंपल की रिपोर्ट निगेटिव आई है। पशुपालन विभाग के अनुसार पिथौरागढ़ और ऊधमसिंह नगर जिला संवेदनशील है।  इस से पहले भी बरेली के घोड़ों में ग्लैडर्स रोग मिला था, जिसके बाद कई घोड़ो को मर्सी डेथ दे दी गई थी।  

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हल्द्वानी की बात करी जाये तो यह बीमारी ने 11 साल पहले दस्तक दी थी। इस रोग से बचने के लिए हल्द्वानी के 11 घोड़ों को मर्सी डेथ दी गई थी। इस बीमारी को देखते हुए पशुपालन , वन विभाग ने कुमाऊं के लोगों को ग्लैंडर्स से सतर्कता बरतने को कहा है।अपर निदेशक पशुपालन पीसी कांडपाल ने जानकारी देते हुए कहा कि 2018 से मार्च 2019 तक 88 घोड़ों के सैंपल लिए गए थे। इन्हें जांच के लिए राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र हिसार भेजा गया था। सभी रिपोर्ट निगेटिव आई थी। ऊधमसिंह नगर, पिथौरागढ़ जिले ग्लैंडर्स रोग के लिए संवेदनशील हैं। उन्होंने कहा कि कुमाऊं के सभी सीवीओ को घोड़ों पर नजर रख सैंपलिंग कराने को कहा गया है। वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त डॉ. पराग मधुकर धकाते ने कहा कि बरेली में घोड़ों, खच्चरों में फैले ग्लैंडर्स रोग को देखते हुए अलर्ट जारी किया गया है।  घोड़ों में यह बीमारी गंभीर होती है।अगर मनुष्य ग्लैंडर्स बीमारी से पीड़त घोड़े के संपर्क में रहता हैतो मनुष्य की जान भी जा सकती है। बीमार घोड़े के मुंह  और नाक से निकलने वाले तरल पदार्थ के संक्रमण से बीमारी दूसरे पशुओं और इंसानों में भी फैलने लगती है। बीमारी का पता हम घोड़ो की त्वचा में फोड़े और गांठे होने से भी पता लगा सकते है। इस बीमारी के कारण घोड़ो की नाक के अंदर फटे छाले भी दिखाई देते है। ग्लैंडर्स बीमारी से तेज बुखार होने की भी संभावना होती है।   

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