नैनीताल,17 मार्च:
नैनीताल को पूरे विश्व सरोवर नगरी के नाम से भी जानता है। नैनीझील को देखने के लिए दुनिया भर से लोग आते है। नैनीझील लोगों को सुंदरता देने के लिए अलावा दुख भी देती है। नैनीझील में गिरने से कई लोगों की मौत हो चुकी है। नैनीझील से पिछले 45 साल से जुड़े एक अध्याय का 17 मार्च 2018 को एक अध्याय खत्म हो गया है। नैनीताल ने उस शख्स को खोया है जो नैनीझील से शवों को निकालता था। इस व्यक्ति का नाम था हनुमान लाल जो पिछले 4 दशकों से ये काम कर रहा था। उसका इस जिंदगी में कोई नहीं था, लेकिन उसने अपने काम से पूरे नैनीताल के दिल में एक जगह बनाई। हनुमान लाल 45 सालों में नैनीझील से करीब 320 लाशे निकाल चुके है। लंबी बिमारी के चलते शनिवार को उनकी मौत हो गई। वह बीडी पांडे अस्पताल में भर्ती था।
नैनीताल से हनुमान लाल का कनेक्शन शायद दिल का था। अपने को जीवित रखने के लिए कभी वो रिक्शा चलाता, तो कभी कभी चने बेचे या कभी भुट्टे बेचता या फिर मजदूरी करता। लाश निकलने के लिए उसने कभी रुपए नहीं लिए। एक निजी अखबार (उत्तरांचल दीप) ने हनुमान लाल के जिंदगी के बारे में बताया कि
हनुमान कौन ये बहुत कम लोग जानते है। साल 1930 में हल्द्वानी मार्ग पर मिठ्ठन लाल की जूतासाज की दुकान हुआ करती थी। उनका बेटा था हनुमान लाल। बड़े भाई का निधन बचपन में हो गया और पिता का करोबार बंद होने से वो स्कूल भी नहीं जा सका। लेकिन नैनीझील से उसका रिश्ता तब जुड़ गया जब वो 14 वर्ष की आयु में होशियार तैराक बन गया। लोग बताते है कि उसने सबसे पहले किसी छात्र का शव नैनीझील से निकाला था उसके बाद वो नैनीताल पुलिस का सहयोगी बन गया। पुलिस भी हनुमान लाल की सहायता लिया करती थी।