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अक्षय कुमार की फिल्म ने पहाड़ की इन बेटियों को बना दिया पैडवूमैन


देहरादून: स्कूल में अच्छे अंक लाने के बाद छात्र बड़ी-बड़ी कंपनियों में नौकरी की करते हैं। उसके बाद उनका सपना होता है विदेश जाया जाए। समाज सुधार के बात हर घर करता है लेकिन उसका हिस्सा बनने से दूर रहता है। एक बार फिर उत्तराखण्ड की बेटियों ने ऐसा काम किया जिसे देवभूमि ही नहीं बल्कि पूरा देश सलाम कर रहा है। हम बात कर रहें है पहाड़ की उन बेटियों की जिन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर अपने लोगों के लिए काम करने का फैसला किया ।

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उत्तरकाशी निवासी डॉ. पुष्पा नेगी की जो राजधानी  देहरादून की बेटियां सस्ते सेनेटरी नैपकिन बना रही है। उन्होंने अपनी पहचना ‘पैडवुमैन’ के तौर पर स्थापित कर ली है। डॉ. पुष्पा नेगी को अक्षय कुमार की फिल्म पैडमैन ने खासा प्रभावित किया था जिसके बाद उन्होंने समाज के लिए काम करने का फैसला किया। उन्होंने केवल पैड बनाना ही नहीं बल्कि महिलाओं को यौन संक्रमण से जुड़ी खतरनाक बीमारियों से बचाने के लिए जागरूक मिशन भी शुरू किया है।  इसके अलावा इस काम के जरिये 50 से ज्यादा महिलाओं को रोजगार से भी जोड़ा है।

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देहरादून की बेटियां सस्ते सेनेटरी नैपकिन बनाकर राजधानी की ‘पैडवुमैन’ बन गई हैं

बता दें कि डॉ. पुष्पा नेगी ने ये काम चुनने के लिए अपनी नौकरी छोड़ी। वो सिनर्जी,लाइफलाइन जैसे कई अस्पतालों में काम किया है। इसी प्रकार श्रीनगर की रहने वाली निवेदिता चमोली पेशे से फार्मेसिस्ट हैं और एक संस्था से जुड़ी रहीं। इन दोनों की मुलाकात एक संस्था के कार्यक्रम में हुई थी। उन दिनों अक्षय कुमार की फिल्म पैडमैन रिलीज हुई थी। इसी फिल्म से प्रेरणा लेकर डॉ. पुष्पा नेगी और निवेदिता चमोली ने भी ‘पैडवुमैन’ बनने की राह चुनी। अपनी मुहिम को आगें बढ़ाने के लिए उन्होंने माही फाउंडेशन के नाम से संस्था बनाई और सस्ते सेनेटरी नैपकिन बनाने की शुरुआत की। उन्होंने महिलाओं को माहवारी के दौरान कपड़े से होने वाले इंफैक्शन के बारे में भी जानकारी दी।

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इस काम की नींव उन्होंने अपने मजबूत इरादों के साथ डाली। इस मुहिम तो इलाहाबाद की बेटी अल्का शुक्ला का साथ मिला तो रफ्तार और तेज हो गई। तीनों के द्वारा बनाए गए पैड को  दून और आसपास के क्षेत्रों की 25 हजार से ज्यादा महिलाएं इस्तेमाल कर रही हैं। बता दें कि माही फाउंडेशन द्वारा बनाया गया पांच नैपकिन का पैकेट महज 22 रुपये का है। पैंड्स की पैकिंग के लिए उन्होंने कागज का इस्तेमाल किया जिससे कीपर्यावरण संरक्षण का संदेश मिले। वहीं माही फाउंडेशन ने 50 महिलाओं को भी रोजगार प्रदान किया जिससे की वह अपनी जरूरत पूरी कर सकें।

 

 

न्यूज सोर्स-अमर उजाला

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