हल्द्वानी: हाल ही में हमने देखा कि किस तरह से उत्तराखंड के युवा वैज्ञानिक शोधकर्ता विश्व पटल पर राज्य का नाम और मान बढ़ा रहे हैं। प्रदेश के युवा वैज्ञानिकों को विदेशों तक की विभिन्न प्रमुख विश्वविद्यालयों द्वारा सम्मानित किया जा रहा है। कोई नंबर वन वैज्ञानिक बन कर आ रहा है तो कोई नंबर वन शोधकर्ता। इस सबके पीछे युवाओं की मेहनत, परिजनों के सपोर्ट के साथ साथ उत्तराखंड के विश्वविद्यालयों की शिक्षा प्रणाली का भी हाथ है। युवाओं के बाद अब उत्तराखंड के विश्वविद्यालय भी अब विदेशों में भारत को गौरव दिला रहे हैं।
दरअसल जानकारी के अनुसार उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय (यूओयू) अब इंडोनेशिया, थाईलैंड और बांग्लादेश के मुक्त विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर नवाचार और शोध कार्य करेगा। इन समस्त मुक्त विश्वविद्यालयों के शोध कार्यों का केंद्र होगा मैशिव ओपन ऑनलाइन कोर्स के प्रति दूर रहने वाले शिक्षा प्रणाली के छात्रों का नज़रिया। यह खबर उत्तराखंड वासियों के लिए काफी गर्व करने वाली खबर है क्योंकि इससे राज्य को और यहां की शिक्षा प्रणाली को संपूर्ण विश्व में पहचान मिलेगी।
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जानकारी के मुताबिक इन शोध कार्यों के लिए उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय ने एशियाई देशों के मुक्त विश्वविद्यालयों की संस्था एशियन एसोसिएशन ऑफ ओपन यूनिवर्सिटीज (एएओयू) को प्रस्ताव भेजा था। जिस प्रस्ताव को एएओयू ने स्वीकार कर लिया है और अब यूओयू भी विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ संबंधित शोध कार्य करेगा। बता दें कि शोध के लिए चार विश्वविद्यालयों के छात्रों को शामिल किया जाएगा।
भारत से नेताजी सुभाष मुक्त विश्वविद्यालय और उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय को शामिल किया गया है। वहीं विदेशों में से थाईलैंड से सुखोथाई थमाथरेत और इंडोनेशिया से टरबुका ओपन यूनिवर्सिटी को शामिल किया गया है। इसके अलावा संपूर्ण शोध प्रोजेक्ट के समन्वयक की ज़िम्मेदारी भी उत्तराखंड मुक्त विवि के कंप्यूटर विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. जितेंद्र पांडे को मिली है।
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विवि के कंप्यूटर विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. जितेंद्र पांडे ने जानकारी दी और बताया कि यूओयू ने एशियाई मुक्त विश्वविद्यालय एसोसिएशन (एएओयू) को मैशिव ओपन ऑनलाइन कोर्स (मूक) के प्रति दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के छात्रों के दृष्टिकोण विषय पर एक शोध प्रोजेक्ट का प्रस्ताव भेजा था जिसे एसोसिएशन ने स्वीकार कर लिया है।
बता दें कि इस प्रोजेक्ट में ऑनलाइन कोर्स के प्रति दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के छात्रों का कैसा व्यवहार है, इस बात पर मुख्य शोध किया जाना है। इसके अलावा शोध के कुछ बिंदु यह भी होंगे कि मूक में पंजीकरण तो काफी संख्या में होते हैं मगर ज्यादातर छात्र बीच में ही कोर्स छोड़ देते हैं। साथ ही ऑनलाइन कोर्स के प्रति छात्रों का रुझान कैसे बढ़ाया जा सकता है, इस पर भी विचार किया जाएगा।