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उत्तराखंड: रुद्रनाथ धाम के कपाट बंद होने की तैयारी पूरी, इस दिन समाधि लेंगे भगवान शिव

Rudranath Dham
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गोपेश्वर: चतुर्थ केदार श्री रुद्रनाथ धाम में इस वर्ष यात्रा सीजन का अंतिम चरण आ गया है। शुक्रवार सुबह ठीक 5 बजे विशेष पूजा-अर्चना और विधि-विधान के साथ भगवान रुद्रनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। इससे पहले भगवान शिव को मंदार पुष्पों (बुग्याली फूलों) की शैय्या में समाधि दी जाएगी। मान्यता है कि शीतकाल में भगवान रुद्रनाथ मंदार पुष्पों में ही निवास करते हैं और कपाट खुलने पर यही पुष्प सबसे बड़ा प्रसाद बनकर भक्तों को वितरित किए जाते हैं। इस धार्मिक अनुष्ठान में हकहकूकधारी, पुजारी, स्थानीय ग्रामीण और तीर्थयात्री बड़ी संख्या में रुद्रनाथ धाम पहुंच चुके हैं।

पौराणिक मान्यता है कि यहीं पांडवों को भगवान शिव ने मुखारबिंद के दर्शन दिए थे। गुफा में विराजमान भगवान के मुख को ही मंदिर का रूप दिया गया है। भारत में यह एकमात्र स्थान है जहां भगवान शिव के मुख के दर्शन होते हैं रुद्रनाथ की यात्रा बेहद दुर्गम मानी जाती है। गोपेश्वर से सगर होते हुए लगभग 19 किमी पैदल दूरी तय कर रुद्रनाथ पहुंचा जाता है। इस बार की यात्रा ऐतिहासिक रही….एक लाख से अधिक तीर्थयात्री रुद्रनाथ पहुंचे, जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। कपाट बंदी की पूर्व संध्या पर मंदिर को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया गया। विशेष रूप से मंदार के फूल जंगल से लाकर शिवलिंग को समाधि दी जाएगी।

शुक्रवार को कार्यक्रम इस प्रकार रहेगा……

तड़के 4 बजे मंदिर कपाट खुलेंगे

पूजा-अर्चना, श्रृंगार पूजा, भोग व आरती होगी

5 बजे शिव को समाधि दी जाएगी

इसके बाद रुद्रनाथ की उत्सव डोली मंदिर से बाहर लाई जाएगी और कपाट बंद होंगे उत्सव डोली मौलीखर्क, सगर गांव होते हुए सूर्यास्त से पहले गोपेश्वर के गोपीनाथ मंदिर पहुंचेगी, जहां शीतकालीन पूजा संपन्न होगी।

पुजारी सुनील तिवारी ने जानकारी दी कि सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इस वर्ष दर्शनार्थियों की संख्या में ऐतिहासिक बढ़ोत्तरी हुई है।

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