पिथौरागढ़: जीवन में कुछ भी प्रत्याशित नहीं है। कभी भी ज़िंदगी किसी भी मोड़ पर बदल सकती है। उत्तराखंड से एक भावुक कर देने वाली खबर सामने आई है। देवभूमि के एक रिटायर्ड अफसर ने प्रशासन के माध्यम से राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की है। बुजुर्ग का कहना है कि दिव्यांग होने के बाद उनके जीने की इच्छी खत्म हो गई है। अब वह किसी को परेशान नहीं करना चाहते।
65 वर्षीय सेवानिवृत्त सरकारी कर्मी सोबन लाल वर्मा पिथौरागढ़ के रहने वाले हैं। उन्होंने हाल ही में डायबिटीज की अत्याधिक परेशानी के कारण अपने दोनों पैर खोने पड़े। संक्रमण फैलने की वजह से चिकित्सकों ने उनके दोनों पैर काट दिए। बुजुर्ग को रिटायरमेंट के दौरान जो धनराशि मिली, वह भी इलाज में खत्म हो चुकी है। जीवन में जितना कमाया वो सब बीमारी में लग गया। अब आलम यह है कि सोबन लाल वर्मा ने जीवन ना जीने का फैसला कर लिया है।
बता दें कि सोबन लाल वर्मा ने प्रशासन के माध्यम से राष्ट्रपति को इच्छा मृत्यु देने का प्रार्थना पत्र भेजा है। जिसमें लिखा है कि अब उनके पास आगे का जीवन जीने और खाने, पीने के लिए कुछ नहीं बचा है। जीवन में असहजता और हताशा अपने चरम पर है। पत्र में उन्होंने दिव्यांगता का जिक्र कर कहा कि इतना लाचार होने के बाद जीने का कोई तात्पर्य नहीं रह गया है। वह अब दूसरों को कष्ट देकर जीना नहीं चाहते हैं।
इस पत्र के फौरन बाद से जिला प्रशासन भी हरकत में आ गया है। बुजुर्ग को अस्पताल में पहुंचाकर उनके उपचार, कृत्रिम अंग की व्यवस्था की जा रही है। सीएमओ डा. एचएस ह्यांकी ने कहा कि बुजुर्ग के मनोबल को बढ़ाने के लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों से काउंसलिंग कराई जा रही है। डीएम आशीष चौहान का कहना है कि पैर गंवाने से बुजुर्ग परेशान हैं। उनकी उचित काउंसलिंग करने के निर्देश दिए गए हैं।