देहरादून: रोडवेज की हालत कोरोना काल के बाद से ही सही नहीं चल रही है। मौजूदा समय में रोडवेज सवा पांच सौ करोड़ रुपए के घाटे में दिन गुजार रहा है। ऐसे में दीपावली से पहले रोडवेज को लाखों रुपए की और चपत लग गई। फास्टैग रिचार्ज ना होने से हर जगह बसों को दोगुना टोल देना पड़ा। वो तो बाद में पता लगा कि गलती उत्तराखंड रोडवेज के अधिकारियों की नहीं बल्कि पेटीएम कंपनी की थी।
जी हैं, शुरुआत से बात करें तो ये हर कोई जानता है कि अब टोल भुगतान वाहनों पर लगे फास्टैग से किया जाता है। किसी कारणवश फैस्टैग से भुगतान नहीं हुआ तो दोगुना भुगतान करना होता। खैर, इस नियम के बाद से ही उत्तराखंड रोडवेज की सभी बसों में फास्टैग लगा दिया गया था। क्योंकि इसे समय से रिचार्ज करना जिम्मेदारी का काम है, इसलिए इसके लिए बकायदा एक अधिकारी नियुक्त किया गया।
अधिकारी की जिम्मादारी ये रहती है कि यह खाता कभी खाली न हो, क्योंकि इस सूरत में बसों को दोगुना टोल देना पड़ता है। बता दें कि फास्टैग के इस खाते को पेटीएम से जोड़ दिया गया। जिसके माध्यम से रिचार्ज किया जाने लगा। हुआ ये कि बुधवार की सुबह बसों पर लगे फास्टैग ने काम करना ही बंद कर दिया। टोल प्लाजा पर परिचालकों को टोल की दोगुनी राशि चुकानी पड़ी।
परिचालकों ने लौटने पर रोडवेज मुख्यालय को इस बारे में सूचित किया। जिसके बाद अधिकारियों ने फास्टैग और पेटीएम कंपनी से संपर्क किया। तब जाकर पूरी गुत्थी सुलझी। दरअसल पेटीम से पता चला कि उनका सर्वर सभी जगह सुबह ठप हो गया था। रोडवेज के महाप्रबंधक दीपक जैन ने बताया कि तकनीकी खराबी करीब चार घंटे सुबह साढ़े छह से साढ़े दस बजे तक रही।
ऐसे में दून-दिल्ली राजमार्ग और दून-हल्द्वानी मार्ग समेत हरिद्वार-रुड़की व दून-हरिद्वार मार्ग पर जो भी टोल बैरियर हैं, वहां बसों ने दोगुना टोल अदा किया। दून से दिल्ली मार्ग पर दौराला मेरठ टोल प्लाजा पर 310 रुपए टोल के बदले पर 620 रुपए, दून-हल्द्वानी मार्ग पर रामपुर में टोल प्लाजा पर 405 रुपए के बजाय 810 रुपए चुकाने पड़े।
इसके अलावा दून-हरिद्वार मार्ग पर लच्छीवाला टोल और हरिद्वार-रुड़की मार्ग पर बहादराबाद टोल प्लाजा पर भी दोगुना टोल लगा। देखा जाए तो सिर्फ चार घंटों में ही रोडवेज को लाखों रुपए का नुकसान हो गया। रोडवेज के महाप्रबंधक दीपक जैन ने बताया कि तकनीकी खराबी पेटीएम की तरफ से हुई थी। इसलिए कंपनी को रकम वापिस करने हेतु पत्र भेज दिया गया है।