हल्द्वानी: भारतीय सेना में शामिल होने के लिए देश के करोड़ो युवा सपना देखते हैं। सेना में भर्ती के दौरान होने वाली युवाओं की भीड़ इस बात का प्रमाण हैं। भारतीय सेना और उत्तराखण्ड राज्य का नाता काफी पुराना है। कहावत है कि पहाड़ के हर परिवार का एक सदस्य भारतीय सेना में शामिल है। 15 जनवरी का दिन हम सेना दिवस के रूप में मनाते हैं। इस अवसर पर हम आपके सामने कुछ आंकड़े पेश करेंगे जिससे हर उत्तराखण्डी को अपने ऊपर गर्व होगा। भारतीय सेना का हर सौंवा सैनिक पहाड़ी राज्य उत्तराखंड से है।
उत्तराखंड में 169519 पूर्व सैनिक हैं। इसके साथ ही 72 हजार से ज्यादा जवान सेना को अपनी सेवा दे रहे हैं।उत्तराखंड हर साल सेना को नौ हजार युवा सैनिक देने वाला राज्य है। यही नहीं देवभूमि ने देश को को दो सेना प्रमुख और एक नौसेना प्रमुख दिए हैं। इस लिस्ट में वर्तमान सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत , डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन का पद संभालने वाले अनिल भट्ट और पूर्व सेना प्रमुख जनरल बिपिन चंद्र जोशी का नाम शामिल हैं।
बात मौजूदा थल सेना प्रमुख बिपिन रावत कि करें तो उन्होंने 31 दिसंबर 2016 को थल सेनाध्यक्ष का पद संभाला था। जनरल बिपिन रावत जन्म पौड़ी गढ़वाल जिले में हुआ था। जनरल बिपिन रावत के पिता लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत सेना से लेफ्टिनेंट जनरल के पद से रिटायर हुए थे। रावत ने साल 1978 में11वीं गोरखा राइफल की पांचवीं बटालियन से अपना करियर शुरू किया। जनरल रावत ने देहरादून में कैंब्रियन हॉल स्कूल, शिमला में सेंट एडवर्ड स्कूल और भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून से शिक्षा ली। इसके अलावा उन्हें सर्वश्रेष्ठ सोर्ड ऑफ ऑनर सम्मान से भी नवाजा गया।
वहीं पूर्व सेना प्रमुख जनरल बिपिन चंद्र जोशी अल्मोड़ा के मल्ला दन्यां मोहल्ले के रहने वाले थे। वह 1993-94 के दौरान थल सेनाध्यक्ष रहे। उनकी मौत उनके कार्यकाल के दौरान हुई। जनरल बिपिन चंद्र जोशी का जन्म अल्मोड़ा के दन्या मोहल्ले में 5 दिसंबर 1935 को हुआ। उनके पिता हेमचंद्र जोशी सेल टैक्स अफसर थे।
डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन का पद संभालने वाले अनिल भट्ट मूलरूप से टिहरी गढ़वाल के खतवाड़ गांव के रहने वाले हैं। पिछले साल उन्हें डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशंस (डीजीएमओ) की जिम्मेदारी दी गई। उनके पिता सत्यप्रकाश भट्ट ने भी सेना में थे। जनरल अनिल भट्ट ने मसूरी के हेंपटनकोर्ट और कान्वेंट स्कूल सेंट जॉर्ज कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की। उनका परिवार करीब 50 साल से मसूरी में ही रहता है।