देहरादून: कोरोना वायरस के प्रकोप ने बसों के पहिए भी रोक दिए हैं। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब व राजस्थान, चंडीगढ़ और हिमाचल में लगी पांबदी के बाद बसों का संचालन इन रूटों पर रोक दिया गया है। कई मौकों पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने राज्य की बसों को वापस लौटा दिया था। शनिवार आठ मई से उत्तर प्रदेश ने अपने सीमा क्षेत्र में किसी भी राज्य की रोडवेज बसों के संचालन पर रोक लगा दी थी। हिमाचल और चंडीगढ़ के लिए यात्रियों की उपलब्धता के आधार पर चुनिंदा बसों का संचालन किया जा रहा था, लेकिन बुधवार से इसे भी बंद कर दिया गया। अब उत्तराखंड रोडवेज की बसें केवल प्रदेश के भीतरी मार्गों पर चलाई जाएंगी।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लगाई गई पाबंदी के बाद उत्तराखंड रोडवेज की लगभग साढ़े आठ सौ बसों के पहिये थम गए हैं। इसी वजह से उत्तराखंड से बसे दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान भी नहीं जा पा रही है क्योंकि उन्हें यूपी की सीमा से होकर जाना पड़ता है। बता दें कि, कोरोना संक्रमण दोबारा बढऩे के बावजूद उत्तराखंड ने अंतरराज्यीय बस संचालन बंद नहीं किया था। सरकार द्वारा कोविड Curfew लगाया हुआ है और इसमें निजी सार्वजनिक सवारी वाहनों का परिवहन प्रतिबंधित है। इस दौरान रोडवेज बसों को संचालन की अनुमति है। हालांकि, उत्तर प्रदेश के प्रतिबंध के दायरे में उत्तराखंड के गढ़वाल एवं कुमाऊं मंडल के लिए भी बसे नहीं जा पा रही है।
दून व हरिद्वार से हल्द्वानी, नैनीताल, चंपावत, पिथौरागढ़ और बागेश्वर जाने वाली बसों को नजीबाबाद बिजनौर से होकर जाने नहीं दिया जा रहा। कोटद्वार तक जाने वाली बसों को भी उत्तर प्रदेश ने अपने क्षेत्र से जाने की अनुमति नहीं दी। ऐसे में उत्तराखंड रोडवेज अब राज्य के भीतर ही बसों का संचालन करेगा। बुधवार को उत्तराखंड रोडवेज की 1000 बसों के सापेक्ष महज 135 बसें ही दौड़ सकी। रोडवेज की आय को भी रोजाना चपेट लग रही है। उसकी आय दस लाख से नीचे पहुंच गई है, जबकि डीजल का खर्च ही इससे अधिक आ रहा।