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बॉलीवुड फिल्म से निकला उत्तराखंडी कनेक्शन तो वरुण धवन ने कर डाला ये ट्विट…


हल्द्वानी:  बॉलिवुड एक्टर वरुण धवन और एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा की आने वाली फिल्म सुई धागा का ट्रेलर इन दिनों काफी धूम मचा रहा है। फिल्म का बेसब्री से इंतज़ार भी किया जा रहा है क्योंकि इस फिल्म की अभिनेत्री अनुष्का शर्मा अपनी एक्टिंग से पहले की सुर्खियां बटोर चुकी हैं।

क्योंकि इस फिल्म में अनुष्का ग्लैमरस दुनिया से दूर गांव की एक साधारण महिला का किरदार निभा रही हैं जो खुद को स्वावलंबी बनाने के लिए मेहनत करती हैं और एक दिन कामयाब होकर दिखाती हैं। दरअसल फिल्म सुई धागा की कहानी का एक कनेक्शन उत्तराखंड से भी जुड़ता है। नैनीताल ज़िले के पोस्ट ज्योलिकोट में कर्तव्य कर्मा नाम की एक संस्था महिला सशक्तिकरण पर काम कर रही है।

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संस्था कर्तव्य कर्मा ने सुई-धागे की अपनी असली कहानी को एक्टर वरुणधवन के सामने प्रस्तुत किया तो उन्होंने कर्तव्यकर्मा की महिला सशक्तिकरण की इस रीयल स्टोरी को दिल से सलाम किया और अपने ऑफिशियल ट्विटर अंकाउंट के ज़रिए ये संदेश भी दिया कि फिल्म सुईधागा की कहानी भी कर्तव्य कर्मा की इस असली कहानी से ज़रुर कनेक्ट करेगी।

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कर्तव्य कर्मा एनजीओ के प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर पवन बिष्ट का कहना है कि ‘गांव के लोगों को शहरी लोग कमजोर समझ लेते हैं। और ना ही वो सम्मान देते हैं जिसके वो असल हकदार होते हैं। दरअसल अब वही लोग इन मेहनतकश और हुनरमंद महिलाओं की तारीफ करते नहीं थकते। इन्हीं महिलाओं के हुनर को देखने के लिए वही शहरी लोग दूर-दूर से इस गांव की तरफ भागे चले आते हैं। और यही हमारी सफलता की पहली सीढ़ी है।’’

 

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फिल्म सुई धागा से इस संस्था और यहां की महिलाओं का क्या कनेक्शन है वो भी जान लीजिए।कर्तव्य कर्मा की कहानी भी फिल्म सुईधागा से काफी मिलती जुलती है। ज्योलिकोट गांव की महिलाएं बेहद हुनरमंद तो पहले से ही थीं लेकिन उनके पास अपने हुनर की नुमाइश का कोई प्लेटफ़ॉर्म मौजूद नहीं था। सुई-धागे के काम में पारंगत महिलाओं के पास अपनी पहचान नहीं थी लेकिन एनजीओ कर्तव्य कर्मा ने ज्योलिकोट जैसी छोटी जगह में ना सिर्फ दस्तक दी बल्कि इन महिलाओं के हुनर को पहचाना और इसे तराश कर ऐसी मिसाल की जिसकी दस्तक अब दूर दूर तक सुनाई दे रही है। गांव की महिलाएं इस संस्था के साथ जुड़कर बैग्स, कुशन कवर्स, राम झोले तो बना ही रही हैं लेकिन सुई और धागे के कमाल से बनने वाली कपड़े की ज्वैलरी ने तो जैसे इनकी किस्मत ही बदल दी हो।

कर्तव्य कर्मा एनजीओ की फैबरिक ज्वैलरी ट्रेनर नेहा का कहना है कि कपड़े की ज्वैलरी हमारे लिए एक नई चीज़ थी.. हमने सुनी ज़रूर थी लेकिन इस हम अपने हाथों से बना पाएंगे ये तो कभी नहीं सोचा था। आज जब हमारे हाथ से बनी कपड़े की ज्वैलरी लोग खरीदते हैं और तारीफ करते हैं तो बहुत अच्छा लगता है। हम कर्तव्य कर्मा संस्था का शुक्रिया अदा करते हैं जिन्होंने हमें ये काम सिखाया और हमारी पहचान बनाने में भूमिका अदा की। अब हम रोज़ नए डिज़ाइन्स पर काम कर रहे हैं। क्योंकि हमारे हाथ से बनी ये कपड़े की ज्वैलरी उत्तराखंड की पहचान बन रही है। और इसे हम बहुत ऊपर तक ले जाना चाहते हैं। गांव की महिलाएं ये काम सीखकर बेहद खुश हैं क्योंकि उन्हें एक तो रोजगार मिल रहा है और दूसरा वो ऐसा हुनर सीख रही हैं जो उनकी जिन्दगी में बदलाव ला रहा है।”

जैसा कि फिल्म सुई धागे के ट्रेलर में साफ देखा गया कि वरुण धवन एक बड़ी टेलर कंपनी में नौकरी करते थे लेकिन उन्हें वो सम्मान हासिल नहीं था जिसके वो हकदार थे। ये बात उनकी पत्नि अनुष्का को चुभती है औऱ वो कुछ करने की ठान लेती हैं। और फिर सुई धागा नाम से वो अपना ब्रांड लॉन्च करती हैं औऱ कहानी इसी तरह आगे बढ़ती है। फिल्म में संघर्ष से लेकर कोशिश तक और कोशिश से लेकर कामयाबी तक के सफर को बखूभी परदे पर उतारा गया है। लेकिन रील लाइफ और रीयल लाइफ की स्टोरी में अंतर तो होता ही है। कर्तव्य कर्मा संगठन ने भी ऐसी ही महिलाओं के हुनर को बाज़ार तक पहुंचाने का जिम्मा उठाया है। शुरुआत में महिलाओं को जोड़ने से लेकर उनको इक्विपमेंट उपलब्ध कराने तक बेहद संघर्षपूण वक्त बीता। लेकिन धीरे-धीरे जब संस्था को महिलाओं का साथ मिला और उनके काम को पहचान मिली तो मानों पंखों को परवाज मिल गए हों।

कर्तव्य कर्मा एनजीओ की हैंडीक्राफ्ट ट्रेनर रजनी देवी ने बताया कि ” हमने कई काम किए लेकिन कर्तव्य कर्मा संस्था से जुड़ने के बाद हमारे काम को असल पहचान मिली। उत्तराखंड में शायद हम पहले ऐसे लोग होंगे जो कपड़े की ज्वैलरी बना रहे हैं। जिसकी प्रशंसा चारों और हो रही है। आज हमारा ये काम हमारी पहचान बन गया है। आज हम 40-45 महिलाएं साथ मिलकर कपड़े के बैग्स, झोले और कपड़े की ज्वैलरी बना रहे हैं। इस सुई धागे के काम से ना सिर्फ हमारी पहचान बनी है बल्कि हमारी आजीविका के संसाधनों में भी बढ़ोत्तरी हुई है। हम पूरी मेहनत और ईमानदारी के साथ काम करते हैं क्योंकि यही अब हमारा कर्तव्य भी है और कर्म भी….”

कर्तव्य कर्मा ने सुई-धागे के इस ताने बाने को बुनने में काफी मेहनत की। 2014 से लेकर अब तक उनकी संस्था कर्तव्य काफी काम कर चुकी है। ये संस्था उत्तराखंड के कल्चर और ट्रेडिशन को आगे बढ़ाने पर काम कर रहे हैं। संस्था ने इन प्रोडेक्ट्स को ‘’पहाड़ी हाट’’ नाम से ब्रांड के अंतरगत बाज़ार में लॉन्च किया है जिसकी धूम विदेशी तक गूंज रही है। संस्था का मानना है कि आज इन महिलाओं को वो हासिल हो रहा है जिसकी वो असल में हकदार थीं। कर्तव्य कर्मा संस्था के संस्थापक गौरव अग्रवाल का कहना है कि ” अभिनेता वरुण धवन के ट्वीट करते ही कर्तव्य कर्मा संस्था के काम की सराहना के लिए कई फोन कॉल्स आए और कई लोगों ने संस्था को और भी करीब से जानने के लिए कइयों ने अपनी इच्छा भी ज़ाहिर की। नैनीताल ज़िले के पोस्ट ज्योलिकोट और गांव गेठिया में संस्था से जुड़ी महिलाओं को जब इस बारे में पता चला तो उनकी जैसी कहानी पर एक फिल्म भी बनी है तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। संस्था से जुड़ी इन महिलाओं को इंतज़ार इस बात का है कि सुई धागा फिल्म जब भी पर्दे पर आएगी तो उन्हें अपनी कहानी की झलक इस फिल्म में ज़रूर देखने को मिलेगी।”

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