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इंदौर जैसे चमकेगी देवभूमि की राजधानी देहरादून, अपना जाएगा ये प्लान


देहरादून: राजधानी में कूड़े की समस्या का हल निकालने के लिए इंदौर मॉडल अपनाया जाएगा। जी हां वो इंदौर जो स्वच्छ भारत अभियान की परीक्षा में अव्वल रहा है। उसके नक्शे कदम पर चलकर देवभूमि की राजधानी भी अपनी चमक निखार पाएगी। सहस्त्रधारा रोड स्थित ट्रेंचिंग ग्राउंड में मौजूद कूड़े के पहाड़ ढहाने के लिए इंदौर मॉर्डल अपनाया जाएगा। इंदौर ने बायो रेमिडिएशन पद्धति के जरिये करीब 40 साल से एकत्र कचरे का निस्तारण किया था। इसी तर्ज पर ट्रेंचिंग ग्राउंड में एकत्र 10 लाख मीट्रिक टन से अधिक कूड़े का खत्म किया जाएगा।


बता दें कि इंदौर भारत का पहला ऐसा शहर है, जिसने ट्रेंचिंग ग्राउंड पर पड़े बरसों पुराने कचरे को बायो रेमिडिएशन तकनीक के जरिए साफ किया। इसके बाद वहां करीब 40 साल पुराने कचरे के पहाड़ गायब हो चुके हैं।जबकि ट्रेंचिंग ग्राउंड को साफ-सुथरा और सुंदर बनाने का कार्य जारी है। इसका लाभ इंदौर को स्वच्छता सर्वे में मिला। ट्रेंचिंग ग्राउंड की सफाई के चलते उसने सर्वे में पहला स्थान हासिल किया। सहस्त्रधारा रोड स्थित ट्रेंचिंग ग्राउंड की बात करें तो यहां पिछले 17 साल से कूड़ा पड़ रहा था।

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दिसंबर-2017 से कूड़ा पड़ना बंद हो गया था क्योंकि जनवरी-2018 में शीशमबाड़ा स्थित सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट शुरू होने हुआ। इसके बाद भी यहां पर 10 लाख मीट्रिक टन से अधिक कूड़े के पहाड़ खडा। अब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और मेयर सुनील उनियाल गामा इसे हटाकर पर्यटन स्थल की शक्ल देने का प्लान बना रहे हैं। इसे निगम के राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी।बायो रेमिडिएशन तकनीक में मौजूद कूड़े को प्रोसेस किया जाता है। इसके लिए एक से दो ट्रॉमल लगाए जाते हैं। जिसके जरिये आरडीएफ (रिफ्यूज ड्राई फ्यूल) और कंपोस्ट को कूड़े में से अलग किया जाता है। शेष का एचडीपीई लाइनर, जियो सिंथेटिक क्लेलाइनर आदि प्रोसेस के जरिये वैज्ञानिक तरीके से उसकी कैपिंग कर दी जाती है। जो कंपोस्ट और आरडीएफ (रिफ्यूज ड्राई फ्यूल) निकलेगा।

कंपोस्ट का प्रयोग जहां खेतों में किया जा सकेगा ।वहीं ज्वलनशील होने के चलते आरडीएफ का इस्तेमाल शीशमबाड़ा स्थित सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट में बनने वाले वेस्ट टू इनर्जी प्लांट में किया जा सकेगा। इससे नगर निगम का राजस्व में बढोतरी होगी।बता दें कि निगम ने वर्ष 2017 में कचरे के निस्तारण और पार्क निर्माण को लेकर आवेदन मांगे गए थे। इस पर हैदराबाद इंटीग्रेटेड एमएसडब्ल्यू प्रा. लि. कंपनी ने प्रस्ताव दिया था। लेकिन, मामला शासन में लंबित होने के चलते कार्रवाई नहीं हो पाई थी। अब इस दिशा में फिर से कार्य शुरू हो गया है।

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