देहरादून: अपनी खूबसूरती के लिए विश्व में विख्यात उत्तराखण्ड की पर्यावरण से दोस्ती हुई है। प्रदेश में अब इलैक्ट्रिक बसें चलना शुरू हो गया है। मंगलवार को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री आवास में उत्तराखण्ड की प्रथम इलैक्ट्रिक बस के परीक्षण का शुभारम्भ किया। उत्तराखण्ड सरकार ने पर्यावरण को प्रदूषण से दूर रखने के लिए इलैक्ट्रिक वाहन नीति बनाई गई है। इस दिशा में इन्वेस्टर्स समिट में उत्तराखण्ड में इलैक्ट्रिक बसों के संचालन के लिए 700 करोड़ रुपये का एमओयू किया गया। ओलेक्ट्रा ग्रीनटैक लिमिटेड हैदराबाद द्वारा परीक्षण के लिए एक बस उपलब्ध कराई गई है, जिसका परीक्षण एक-एक माह के लिए देहरादून-मसूरी व हल्द्वानी-नैनीताल मार्ग पर किया जाएगा।
- करीब 25 25 बसें दोनों रूटों पर चलाई जानी है। इन बसों में सुरक्षा को देखते हए कई खूबियां हैं। महिलाओं की सुरक्षा को ध्य़ान में रखते हुए हर सीट पर पैनिक बटन दिया गया है।
- वहीं बस में सीसीटीवी कैमरे और जीपीएस जैसी सुविधाएं भी दी गई हैं।
- पैनिक बटन जीपीएस की मदद से काम करता है। ये एक ऐसा फीचर है जो मुसीबत के समय या किसी अप्रिय घटना के होने पर बेहद काम आता है।
- उस समय आप उसके उपयोग से सिक्योरिटी, पुलिस या अपने किसी जानने वाले को अपनी लोकेशन के साथ साथ ये बता सकते है कि आप मुसीबत में है।
- बस की लागत करीब 1 करोड़ रुपये है। पर्वतीय मार्गों को देखते हुए बस 166 व्हीलबेस की है।
- इस इलैक्ट्रिक बस को संचालित करने पर किसी प्रकार की आवाज या कंपन नहीं होती है।
- उत्तराखण्ड परिवहन निगम द्वारा 25 बसें देहरादून-मसूरी मार्ग पर तथा 26 बसें हल्द्वानी-नैनीताल मार्ग पर जीजीसी मॉडल के आधार पर संचालित की जाएगी।
- ओलेक्ट्रा ग्रीनटैक लिमिटेड हैदराबाद राज्य में 500 इलैक्ट्रिक बसें चलाने की इच्छुक है।
- इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने उत्तराखण्ड परिवहन निगम को बधाई व शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर परिवहन मंत्री यशपाल आर्य, विधायक गणेश जोशी मौजूद थे।