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गैरसैंण बनी प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी


देहरादून: उत्तराखंड में भराड़ीसैंण (गैरसैंण) को प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी का दर्जा दे दिया गया. राज्यपाल की अनुमति मिलने के बाद इसे एक आधिकारिक आदेश जारी कर दिया गया है. सीएम त्रिवेंद्र रावत ने वर्ष 2020-21 के बजट सत्र के दौरान ही गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की घोषणा कर दी थी. अब इसे आधिकारिक स्वरूप दे दिया गया. 

अब उत्तराखंड में दो-दो राजधानी 
जब सीएम त्रिवेंद्र रावत ने गैरसैंण को राजधानी बनाने की घोषणा की थी तो उन्होंने भावुक होकर कहा था कि ये फैसला काफी सोच-समझकर लिया गया है. 8 जून को आधिकारिक स्वीकृति के बाद उत्तराखंड की दो राजधानियां बन गई हैं. सीएम त्रिवेंद्र रावत ने कहा है कि इससे दूरस्थ क्षेत्रों के अंतिम व्यक्ति तक विकास के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी. गैरसैंण उत्तराखंड के पहाड़ी जिले चमोली में पड़ता है, ऐसे में उम्मीद है कि अब पर्वतीय क्षेत्रों का विकास तेजी से होगा

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गैरसैंण को राजधानी बनाने की लंबी लड़ाई 
गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग आज से नहीं, साठ के दशक से हो रही है. जब उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का हिस्सा था, तब भी गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग उठी थी. इस मांग को उठाने वाले पेशावर कांड के महानायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली थे. उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने के लिए आंदोलन करने वालों ने भी गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग उठाई थी. वर्ष 2000 में उत्तराखंड तो राज्य बना लेकिन इसकी राजधानी देहरादून बन गई. ऐसे में आंदोलनकारियों ने एक बार फिर पहाड़ी प्रदेश की राजधानी पहाड़ पर होने के लिए आंदोलन तेज हो गया.

सरकारें आईं-गईं लेकिन गैरसैंण वही रहा 
उत्तराखंड की कई सरकारों ने गैरसैंण को राजधानी बनाने का सपना दिखाया और इसे राजनैतिक मुद्दा बनाए रखा. कांग्रेस सराकार में सीएम रहे विजय बहुगुणा ने यहां कई अहम भवनों का शिलान्यास भी किया. हरीश रावत की सरकार में ये बनकर भी तैयार हो गए, लेकिन गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने का काम त्रिवेंद्र सरकार ने ही किया.

हाई टेक होगी गैरसैंण की विधानसभा 
गैरसैंण में ई-विधानसभा बनेगी. सचिवालय के 17 अनुभाग ई-ऑफिस में बदले जा चुके हैं. सीएम त्रिवेंद्र ने कहा है कि ब्लॉक स्तर तक जितने भी दफ्तर हैं, इन्हें ई-ऑफिस बनाने का प्रयास जारी है, ताकि पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे. 

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