एवरेस्ट समिट के लिए निकलीं शीतल के कोच एवरेस्ट विजेता योगेश गर्ब्याल कहते है कि शीतल ऊर्जा से भरी रहती है। उसका हौसला ही है जो उसे इस तरह की कामयाबी से परिचय करवाता है। बता दें कि शीतल पांच अप्रैल को काठमांडू से एवरेस्ट के बेसकैंप के लिए रवाना हुईं थीं। वह 15 अप्रैल को बेस कैंप पहुंचीं। उन्होंने 12 मई तक बेस कैंप में अन्य पर्वतारोहियों के साथ रॉक क्लाइबिंग का अभ्यास किया।
इससे पहले भी शीतर उत्तराखण्ड का नाम रोशन कर चुकी है। साल 2017 में शीतल ने विश्व की तीसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा 22 साल की उम्र में फतह कर रिकॉर्ड अपने नाम किया था। कंचनजंगा के साथ ही तमाम चोटियों को फतह कर चुकी हैं। शीतल का परिवार जिला मुख्यालय के नजदीक रहता है। शीतल की इस उपलब्धि से स्थानीय लोगों में खुशी का माहौल है।
शीतल की कामयाबी के बाद उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें बधाई दी। उन्होंने लिखा की बेटी ने अपनी कामयाबी से राज्य को गौरवान्वित किया है।