हरिद्वार: कोरोना वायरस की वजह से अगले साल होने वाले हरिद्वार कुंभ मेले पर संशय बाना हुआ था, पर उत्तराखंड सरकार के फैसले के बाद यह बात साफ़ हो गई कि अगले साल हरिद्वार में कुंभ का आयोजन तय समय पर ही होगा। इसको लेकर सरकार जोर शोर से तैयारियों में लगी हुई है। सरकार के लिए कुंभ क्षेत्र में वन्य जीव एक बढ़ी चुनौती बने हुए है। दरअसल, हरिद्वार से लेकर ऋषिकेश तक कुंभ मेला क्षेत्र राजाजी टाइगर रिजर्व और हरिद्वार, लैंसडौन, देहरादून और नरेंद्रनगर वन प्रभागों से सटा है। इस क्षेत्र में अर्से से हाथियों, गुलदारों ने नींद उड़ाई है। अगर समय रहते इस पर अंकुश नहीं लगा तो कुंभ में दिक्कतें बढ़ सकती हैं। जाहिर है कि इससे पार पाने को वन्यजीव प्रबंधन पर फोकस करना होगा। यानी ऐसे कदम उठाने होंगे, जिससे वन्यजीव जंगल की देहरी पार न करें।
इसकी कार्य योजना बन चुकी है, जिसके तहत हाथियों पर रेडियो कॉलर, विलेज प्रोटेक्शन फोर्स का गठन, सोलर पावर फेंसिंग, वन्यजीवरोधी दीवार, रैपिड रिस्पांस टीमों की तैनाती जैसे कदम उठाए जाने हैं। बावजूद इसके इस कवायद को लेकर वह तेजी नहीं दिख रही, जिसकी जरूरत है। एलीफेंट प्रोजेक्ट वाले राजाजी टाइगर रिजर्व से लगे इलाकों में लंबे समय से हाथियों की धमाचौकड़ी ने जनसामान्य को मुश्किलों में डाला हुआ है। हरिद्वार समेत आसपास के आबादी वाले क्षेत्रों में हाथी निरंतर धमक रहे। लंबे समय से बनी इस दिक्कत के मद्देनजर वहां ऐसे 13 हाथी चिह्नित किए गए हैं। इन पर रेडियो कॉलर लगाए जाने हैं, जिससे निगरानी हो सके।
मगर, पिछले अनुभवों को देखते हुए संशय के बादल भी कम नहीं है। हाल में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में एक हाथी पर रेडियो कॉलर लगाने का प्रयोग बहुत कामयाब नहीं हो सका। इससे पहले राजाजी में भी ऐसा प्रयोग विफल हो चुका है। साफ है कि हाथियों पर रेडियो कॉलर लगाने की मुहिम सफल हो, इसके लिए पिछली गलतियों से सबक लेकर पूरी तैयारी के साथ कदम बढ़ाए जाएं। उम्मीद की जानी चाहिए कि हाथियों पर रेडियो कॉलर की मुहिम को पूरी गंभीरता से लिया जाएगा।