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राजधानी में पत्रकारों ने सरकार के विरोध में जलाई मशाल,टीम को एकजुट कर रही ये आग


देहरादून: पत्रकारों की आवाज अब सड़कों में उतर गई है और पूरी राजधानी में गूंज रही है। आवाज है सरकार की उस मनमानी की जिसका खामियाजा राज्य के पत्रकारों को भुगतना पड़ रहा है। उत्तराखंड पत्रकार संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनर तले राजधानी देहरादून में पत्रकारों ने बुधवार सायं को मशाल जुलूस निकाला। मशाल जुलूस में पत्रकार काफी संख्या में शामिल हुए। सरकार की दमनकारी नीति के विरोध में विभिन्न संगठनों से जुड़े पत्रकार सूचना भवन में उत्तराखंड पत्रकार संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनरतले पिछले एक सप्ताह से आंदोलनरत हैं और अपनी मांगों को लेकर धरना दे रहे हैं। विज्ञापन आवंटन में भेदभावपूर्ण नीति को लेकर पत्रकार विरोध में उतर आए हैं।

Journalist Protest against uttarakhand goverment

अपनी मांगों के संबंध में पत्रकारों द्वारा मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भी भेजा गया। पत्रकारों का कहना है कि राज्य के छोटे व मझौले अखबारों और न्यूज पोर्टलों को सरकार द्वारा विज्ञापन जारी नहीं किया गया।  सरकार की इस दमनकारी नीति के विरोध में राज्यभर के पत्रकार एकजुट होने लगे हैं। सूचना विभाग की चुप्पी और मांगों पर कार्यवायी न किए जाने से पत्रकारों का यह आंदोलन उग्र रूप भी धारण कर सकता है। पत्रकारों ने आमरण अनशन शुरु करने की चेतावनी भी दी है।

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वरिष्ठ पत्रकार जीत मणि पैन्यूली ने कहा कि इतिहास में दर्ज उत्तराखंड के पत्रकारों के संघर्षों को याद किया तथा युवा पत्रकारों में काफ़ी जोश भरा। उत्तराखंड पत्रकार संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने युवा पत्रकारों को पन्ना प्रमुख तैनात करके काफी सफलता प्राप्त की। युवा पत्रकारों ने गंभीरता से काम किया और कुछ ही घंटे बाद शाम के जुलूस मे इसका असर दिख गया। राजधानी देहरादून में पत्रकारों द्वारा निकाले गए जुलूस ने राज्यभर के पत्रकारों को एकजुट होकर अपनी आवाज उठाने का संदेश भी दिया है।

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