हरिद्वार: मध्य प्रदेश के राज्यपाल रहे स्वर्गीय लालजी टंडन की अस्थियों को आज सोमवार को विधि विधान के साथ हरकी पैड़ी गंगा में प्रवाहित कर दिया गया। इस मौके पर उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य भी मौजूद थी। साथ कई ही कई और जनप्रतिनिधि भी शामिल हुए। रविवार को स्वर्गीय लालजी टंडन के छोटे बेटे सुबोध टंडन अपने परिजनों के साथ अस्थियां लेकर भूमा निकेतन पहुंचे। अस्थि कलश को सप्तसरोवर मार्ग स्थित सिद्धपीठ भूमा निकेतन में रखा गया। भूमा पीठाधीश्वर स्वामी अच्युतानंद तीर्थ महाराज के साथ प्रदेश के शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने अस्थियों पर पुष्प अर्पित करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस मौके पर कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि स्वर्गीय लालजी टंडन एक बेहतरीन राजनीतिक थे। भाजपा के जिला महामंत्री विकास तिवारी, मंडल अध्यक्ष विरेंद्र तिवारी, विदित शर्मा, राजेंद्र शर्मा, देवेंद्र तोमर, सुनील शर्मा, चंद्रकांत पांडे आदि उपस्थित रहे।
इस पहले लालजी टंडन की अस्थियां शुक्रवार को प्रयागराज संगम में विसर्जित कर दी गईं। लालजी टंडन की अस्थियां लेकर उनके पुत्र सुबोध टंडन अन्य परिवारजनों के साथ प्रयागराज पहुंचे थे। वीआईपी घाट से बोट के जरिए संगम जाकर उन्होंने स्वर्गीय लालजी टंडन की अस्थियां संगम में प्रवाहित की थी। इस मौके पर तीर्थ पुरोहितों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ विधिविधान से अस्थि विसर्जन सम्पन्न कराया। अस्थि विसर्जन कर लौटे सुबोध टंडन बहुत भावुक हो उठे।
आपको बता दे की टंडन 85 वर्ष के थे। तबियत खराब होने के बाद उन्हें 11 जून को मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें सांस की दिक्कत, पेशाब में परेशानी और बुखार था। चिकित्सकों ने उनका सीटी गाइडेड प्रोसीजर किया था, लेकिन उनके पेट में रक्तस्राव हो गया। साथ ही फेफड़े, किडनी और लीवर में दिक्कत बढ़ने पर वेंटिलेटर पर रखा गया, लेकिन चिकित्सकों के अथक प्रयास के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका। सोमवार देर रात उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई और मंगलवार सुबह 5.35 पर लखनऊ में उनका निधन हो गया।