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टिहरी सीटः अनुभव के चक्र में फंस रही है भाजपा की मोदी लहर


देहरादूनः लोकसभा चुनाव के नजदीक आते-आते चुनावी समीकरण भी बदल रहे हैं। टिहरी लोकसभा सीट को पहले भाजपा के पक्ष में होने की बाते की जा रही थी लेकिन चुनाव से एक महीने पहले बदले समीकरण ने मुकाबले को रोचक बना दिया है।  इस टिहरी लोकसभा सीट में दोनों परिवार का राजनैतिक समिकरण देखने को मिल रहा है। एक तरफ जहां मौदूरा सांसद माला राजलक्ष्मी के पास किये गये विकास के साथ राजपरिवार की सहानुभुति है। वही प्रीतम सिंह के पास भी बचपन से ही राजनैतिक खेल का अनुभव देखा जा रहा है।कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और चकराता अनुसूचित जनजाति सीट से पांच बार के विधायक प्रीतम सिह ताल ठोक रहे हैं। प्रीतम सिंह का परिवार यहां राजनीतिक रूप से प्रतिष्ठित परिवारों में शुमार है। उनके पिता गुलाब सिंह यूपी में मंत्री रहे थे। इस सबसे यह तो साफ है कि प्रीतम सिंह के पास राजनिति अनुभव की कोई कमी नहीं है। इसके साथ ही उनका चकराता विधानसभा में पांच पर जनता की पसंद बनना भी उनकी सक्रियता दर्शाता है।  प्रीतम सिंह के लिए हर एक कार्यकर्ता ने कमर कसली है , जिसके बाद भाजपा की लहर में काफी फर्क देखा जा रहा है। टिहरी लोकसभा सीट पर कुल 14 विधायकों में से 11 बीजेपी से हैं, तो कांग्रेस के दो और एक निर्दलीय विधायक हैं। पिछले साल के निकाय चुनावों में भाजपा को काफी नुकसा हुआ था। जिसका असर इस बार के चुनाव में देखने को मिल सकता है।टिहरी लोकसभा सीट में अगर मोदी लहर को हटा दिया जाये तो कांग्रेस इस सीट पर बाजी मार सकती है।यही कारण है कि सचिन पायलट के बाद अब टिहरी लोकसभा के कार्यकर्ता प्रियंका गांधी की जनसभा और रोड़ शो की मांग कर रहे हैं। पिछले 7 से 8 दिनों में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने अपनी सक्रियकता तेज कर ली है।  मतदाताओं की बात करें तो कुछ लोग भाजपा की लहर मे दिख रहे हैं तो कुछ शांत देखे जा रही है। मोदी लहर के हिसाब से शांत मतदाता कांग्रेस के पक्ष में वोट कर सकते हैं।

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