हल्द्वानी: नैनीताल हाईकोर्ट ने उपनल कर्मचारियों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को उपनल कर्मचारियों को एक साल के भीतर नियमावली के अनुसार नियमित करने और उन्हें न्यूनतम वेतनमान देने का आदेश पारित किया है। इसके अलाव कोर्ट ने सरकार को आदेश दिए हैं कि वह कर्मचारियों को दिए जाने वाले एरियर से जीएसटी या सर्विस टैक्स की कटौती न करे।
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वरिष्ठ न्यायधीश राजीव शर्मा व शरद कुमार शर्मा की खण्डपीठ ने राज्य सरकार से पूछा था कि उसने उपनल कर्मियों के नियमितीकरण के लिए क्या नीति बनाई है। कोर्ट के आदेश के क्रम में सरकार की ओर से बताया गया था कि इस मामले पर चार किया जा रहा है। बता दें कि कुंदन सिंह नेगी ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश को पत्र भेजकर उपनल द्वारा की जा रही नियुक्तियों पर रोक लगाने की मांग की थी। हाईकोर्ट ने इसका स्वतः संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार कर लिया था।
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याचिका में कहा गया कि उपनल का संविदा लेबर एक्ट में पंजीकरण नहीं है इसलिए यह असंवैधानिक संस्था है। उपनल का गठन पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों के लिए हुआ था लेकिन राज्य सरकार ने इस संस्था को आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के नियुक्ति का माध्यम बना दिया है, जिस पर पूर्ण नियंत्रण राज्य सरकार का है। जनहित याचिका में उपनल कर्मियों की सामाजिक व आर्थिक स्थिति को देखते हुए भविष्य के लिए नीति बनाने की मांग की गई थी। इस याचिका पर सुनवाई करने के बाद आज हाईकोर्ट ने यह फ़ैसला सुनाया।