हल्द्वानी:कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए आपने पीपीआई किट के बारे में सुना होगा। अब आप जान गए होगे की सुरक्षा हेतु यह कितनी महत्वपूर्ण हैं लेकिन इसकी गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। राजकीय मेडिकल कॉलेज प्रबंधन पर आरोप लगे हैं कि वह बचाव के लिए प्रयोग होने वालीपीपीई किट खरीद में मनमानी कर रहा है। पीपीई किट को लेकर डॉक्टरों के विरोध के बाद प्राचार्य द्वारा किट को वापस किया गया है।
खबर के अनुसार राजकीय मेडिकल कॉलेज प्रबंधन द्वारा देहरादून की एक कंपनी को 900 रुपये प्रति पीपीई किट की दर से एक हजार किट का आर्डर 27 मार्च को किया गया। इनकी कीमत 9 लाख रुपए पड़ी। कंपनी ने भी कुछ दिनों पहले पीपीई किट की डिलीवरी की और उसे राजकीय मेडिकल कॉलेज के केंद्रीय औषधि भंडार रखा गया। पीपीई किट को जब खोलकर देखा गया तो डॉक्टर सकते में आ गए हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार डॉक्टर पीपीई किट की गुणवत्ता से संतुष्ट नहीं दिखे। उन्होंने खरीद को लेकर प्राचार्य के समक्ष आपत्ति जताई। खरीद के लिए जिम्मेदार लोगों पर सवाल खड़े होना आम बात है, क्योंकि हालात को देखते हुए पहले पहले सैंपल मंगाकर गुणवत्ता परखनी चाहिए थी। डॉक्टरों के विरोध के बाद प्राचार्य डॉ. सीपी भैसोड़ा ने 15 अप्रैल को देहरादून की कंपनी को आदेश जारी कर पीपीई किट वापस ले जाने को कहा।
डॉक्टरों के बताया कि गॉगल मानकों के अनुरूप नहीं है। किट के निट्रल दस्ताने नहीं पाए गए। सिर्फ एक जोड़ी लेटेक्स दस्ताने भेजे गए और यह भी मानकों के अनुरूप नहीं है। गमबूट पद्धति में शू कवर नहीं मिले। डॉगरी में जिप के बाहर फ्लैप नहीं मिला और कहीं-कहीं सिलाई उधड़ी मिली।डिस्पोजेबल पॉलिथीन पैक छोटा है, जिससे पीपीई किट का डिस्पोस नहीं हो पाएगी।
डॉक्टरों के विरोध ने इस सवालों को खड़ा कर दिया है। आखिर प्रबंधन का कौन व्यक्ति खरीद में कर रहा मनमानी और प्राचार्य क्यों उन्हें ऐसा करने दे रहे हैं। खबर यह भी है कि रुद्रपुर की एक कंपनी सौ जीएसएम (ग्राम प्रति स्क्वायर मीटर) की पीपीई किट सात सौ रुपये की दर से देने को तैयार थी। इसके बाद भी देहरादून में ऑडर दिया गया जिसकी किट मानकों पर खरी नहीं उतरी। डॉक्टरों का मानना है कि अधिक जीएसएम वाली पीपीई किट बहुत अच्छी होती है। इनमें संक्रमण से बचाने की क्षमता अधिक होती है।
कोरोना संक्रमण के दौरान मनमाने तरीके से खरीद करने वाले के खिलाफ आखिर प्राचार्य कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं। कार्रवाई के सवाल पर प्राचार्य डॉ. सीपी भैसोड़ा की ओर से कोई जवाब नहीं मिला है। उन्होंने यह जरूर कहा है कि वक्त बचाने के लिए सैंपल नहीं मंगवाए गए।सैंपल मंगाते तो कंपनी के कर्मचारी को दो बार चक्कर लगाना पड़ता। एक बार सैंपल लेकर आता और फिर पीपीई किट लेकर दोबारा आना पड़ता। पीपीई किट गुणवत्ता के अनुरूप नहीं थी इसलिए खरीद कैंसिल कर दी और कंपनी को माल वापस ले जाने के आदेश दे दिए है।