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हल्द्वानी के सुशीला तिवारी में प्लाज्मा थैरेपी शुरू, प्रदेश का पहला अस्पताल बना


कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। उत्तराखंड में आंकड़ा 5300 हो गया है। बुधवार को रिकॉर्ड 451 मामले सामने आए हैं। यह बीमारी लोगों को डरा रही है। कोरोना वायरस से उत्तराखंड के पहाड़ी इलाके भी परेशान है। सभी परेशानियों के बीच एक राहत भरी खबर सामने आ रही है हल्द्वानी के सुशीला तिवारी हॉस्पिटल से, जहां पर कोरोना मरीजों का प्लाज्मा थैरेपी के जरिए इलाज होगा। राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल (एसटीएच) में यह व्यवस्था शुरू भी हो गई है। इसके साथ ही एसटीएच राज्य का पहला हॉस्पिटल बन गया है जहां कोरोना वायरस को मात देने के लिए प्लाज्मा थैरेपी अपनाई जाएगी। बता दें कि भारत के कई बड़े शहरों में इस तकनीक को अपनाया जा रहा है। बता दें कि देश में पहली बार प्लाज्मा थेरेपी से गंभीर हालत वाले 49 वर्षीय कोरोना पीड़ित मरीज का सफल इलाज दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स अस्पताल में किया गया था।

इस बारे में एमएस डॉ. अरुण जोशी ने जानकारी दी कि प्लाज्मा निकालने के लिए एफेरेसिस मशीन भी उपलब्ध हो गई है।कोविड प्रभारी के नेतृत्व में प्लाज्मा थेरेपी के लिए एक पूरी टीम को तैयार कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि 18 से साठ साल की उम्र वाले कोरोना से स्वस्थ लोग प्लाज्मा दे पाएंगे।मरीज के शरीर से एक यूनिट प्लाज्मा ही निकाला जाएगा। बाकी का खून दानदाता के शरीर में वापस चला जाएगा। कोरोना के गंभीर लक्षण (सर्दी, जुकाम या सांस लेने में दिक्कत) होने के बाद स्वस्थ हुए मरीज प्लाज्मा दान कर सकते हैं। इनके शरीर में एंटीबॉडी काफी संख्या में बन जाती है। पर, एसिम्टोमैटिक मरीज प्लाज्मा दान नहीं कर पाएंगे।

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हॉस्पिटल प्रशासन ने 50 प्लाज्मा डोनरों की सूची भी बनाई है। इसमें पांच लोगों ने प्लाज्मा दान करने पर हामी भर दी है।कोरोना वायरस से स्वस्थ होने के 28 से 90 दिनों के भीतर कोई भी व्यक्ति प्लाज्मा दान कर सकता है। अगर कोई व्यक्ति प्लाजमा डोनेट करना चाहता है तो वह सुशीला तिवारी अस्पताल के मेडिकल सुप्रिंटेंडेंट कार्यालय, ब्लड बैंक या फिर डॉक्टरों से संपर्क कर सकता है।

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