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रास्ते में मिली 25 लाख की अंगूठी, मालिक तक पहुंचाई, पूरे देश में राकेश रावत की चर्चा


देहरादून: कहते हैं ना उत्तराखंड पहुंचने वाला हर शख्स अपने कुछ कास यादे लेकर जाता हैं। यह यादें उत्तराखंड और सैलानी के बीच एक गहरा रिश्ता बना लेती है। सैलानियों को आपने बोलते हुए सुना होगा कि उत्तराखंड के लोग ईमानदार होता है। कोई घर का पता पूछे को उसे घर तक छोड़कर आते हैं, इसे लेकर तो सोशल मीडिया पर तमाम मीम दिखते रहते हैं। ईमानदारी से जुड़ा एक मामला सामने आया है रुद्रप्रयाग जिले से।लॉकडाउन के बाद केदारनाथ दर्शन के लिए अलवर निवासी राजन शर्मा पहुंचे थे। उन्होंने 14 सितंबर को यात्रा की थी। इस बीच वापसी के दौरान उनकी अंगूठी कहां गिरी उन्हें ही पता नहीं चला। इस अंगूठी की कीमत 25 लाख रुपए थी। उन्होंने कोशिश जरूर की लेकिन कामयाबी नहीं मिली। हालांकि उन्होंने सोनप्रयाग थाने में इसकी शिकायत दर्ज करवाई और वापस अलवर लौट आए।

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25 लाख रुपए जैसी बड़ी रकम किसी के भी ईमान को बिगाड़ सकती है लेकिन उत्तराखंड के राकेश रावत की ईमानदारी ने जो किया, उसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है। केदारनाथ के प्रांगण में गौरीकुंड के पास सीतापुर गांव के निवासी राकेश सिंह रावत को केदारनाथ में 25 लाख रुपए के मूल्य की हीरेजड़ित एक बेशकीमती अंगूठी मिली।

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अंगूठी को उसके मालिक तक पहुंचाने हेतु वे थाने पहुंचे और उन्होंने पुलिस को बताया कि उदककुंड के पास उनको एक अंगूठी मिली है। पुलिस ने मामले की जांच की, सामने आया कि यह वही अंगूठी है जिसके खोने की शिकायत राजन शर्मा ने पुलिस को दी थी। थाना अध्यक्ष होशियार सिंह पंखोली ने तुरंत राजन शर्मा को इस बारे में सूचित किया।

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सूचना के बाद राजन शर्मा वापस थाना सोनप्रयाग पहुंचे और 16 सितंबर को पुलिस ने उनको उनकी अंगूठी सोने की अंगूठी को पहचान लिया। उन्होंने बताया कि इस बेशकीमती अंगूठी की बाजार में लगभग 25 लाख रुपए कीमत है। वहीं वह राकेश सिंह रावत की ईमानदारी से गद्गद् हुए। राकेश को उन्होंने तहे दिल से धन्यवाद भी दिया। उन्होंने राकेश को 25 हजार रुपए ईनाम के रूप में दिए। पहले तो राकेश नहीं मानें लेकर राजन के अनुरोध के बाद उन्होंने ईनाम राशि स्वीकार कर ली।

राकेश रावत जैसे ईमानदार युवा ही उत्तराखंड राज्य के उज्जवल भविष्य हैं। राकेश जैसे लोगों के वजह से ही सैलानियों के बीच उत्तराखंड की पहचान स्वच्छ है। पहाड़ घूमने आने के लिए लोग हर वक्त तैयार रहते हैं। किताबों में हम भले ही ईमानदारी के किस्से पढ़ें लेकिन असल जिंदगी में जो इसे फॉलों करें वही असली चैंपियन है।

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