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लॉकडाउन में कोरोना वायरस के नियम तोड़ने वालों को उत्तराखंड सरकार ने किया माफ


हल्द्वानी: लॉकडाउन के दौरान कोविड महामारी अधिनियम और आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत नियमों का उल्लंघन वालों को उत्तराखंड की नई सरकार ने माफ कर दिया है। इन मामलों को लेकर जो भी केस दर्ज किए गए थे उन्हें वापस लिया जाएगा। राज्य के नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की पहली मंत्रिपरिषद बैठक में यह फैसला लिया गया। बता दें कि उत्तराखंड में कुल 4500 लोगों के खिलाफ इसके तहत मामले दर्ज किए गए थे।

शुक्रवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की अध्यक्षता में लिए गए फैसलों के बारे में मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस को रोकने के लिए नियम बनाए गए थे। लॉकडाउन के दौरान सार्वजनिक स्थानों पर घूमने, भीड़ एकत्रित होने पर प्रतिबंध था।

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नियमों का उल्लंघन करने पर प्रदेश भर में मुकदमे दर्ज किए गए थे। लॉकडाउन अवधि में इन नियमों का पालन न करने पर एक्ट के तहत मुकदमे दर्ज करने का प्रावधान किया गया था। मंत्रिपरिषद ने नियमों का उल्लंघन करने पर दर्ज सभी मुकदमे वापस लेने का निर्णय लिया है।

इसके अलावा तीरथ सरकार ने पहली मंत्रिपरिषद की बैठक में वर्ष 2016 के बाद गठित विकास प्राधिकरणों में पूर्व की स्थिति रखने का फैसला लिया है। प्राधिकरणों में नक्शा पास कराने की स्वीकृति का अधिकार स्थगित कर दिया गया। प्राधिकरणों पर सुझाव के लिए कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत की अध्यक्षता में उप समिति गठित की गई है, जिसमें कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, अरविंद पांडे बतौर सदस्य होंगे।

बता दें कि वर्ष 2016 में त्रिवेंद्र सरकार ने प्रदेश में कई क्षेत्रीय विकास प्राधिकरणों का गठन किया था, इसका काफी विरोध हुआ था। कई विधायकों ने पर्वतीय क्षेत्रों में लोगों को नक्शा पास कराने में आ रहीं दिक्कतों को लेकर विधानसभा सदन में मामला उठाया था। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने उपसमिति बनाई थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट भी सरकार को सौंपी दी थी, लेकिन अभी तक इस पर कार्यवाही नहीं की गई थी।

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