उत्तराखंड में दिन प्रति दिन कोरोना आपने पैर पसार रहा है। कोरोना के बढ़ते मामले राज्य सरकार के लिए रोज़ नई चुनौतियां बढ़ा रहे है। बढ़ते मामले को देखते हुए राज्य में टेस्टिंग की संख्या भी बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। पर तमाम कोशिशों के बावजूद भी सैंपल का बैकलॉग नहीं घट रहा है। प्रदेश में कोविड जांच लैब बढ़ने के बाद भी सैंपलों की वेटिंग नौ हजार से अधिक पहुंच गई है। प्रदेश में कोविड जांच राष्ट्रीय औसत से 10 प्रतिशत कम है। राष्ट्रीय औसत-प्रति लाख आबादी पर 1065 सैंपल है, जबकि उत्तराखंड में प्रति लाख आबादी पर 963 सैंपल लिए जा रहे हैं।
प्रदेश में पहले की तुलना में कोरोना जांच की सुविधाएं बढ़ी हैं। वर्तमान में प्रदेश में 10 सरकारी और निजी लैब हैं, जहां पर कोरोना सैंपल टेस्ट किए जा रहे हैं। प्रतिदिन औसतन दो हजार से अधिक सैंपलों की जांच रिपोर्ट आ रही है। इसके साथ ही सैंपलों का बैकलॉग भी बढ़ रहा है। विभिन्न जिलों से जांच के लिए भेजे गए सैंपलों की वेटिंग नौ हजार से अधिक हो गई है। अन्य जिलों की तुलना में हरिद्वार जिले में प्रति लाख आबादी से सबसे कम सैंपलों की जांच हो रही है। हरिद्वार में प्रति लाख पर 621 सैंपल जांच किए जा रहे हैं। जबकि हरिद्वार जिले की आबादी सबसे अधिक है।
कोरोना आंकड़ों का अध्ययन कर रहे सोशल डेवलपमेंट फार कम्युनिटी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल का कहना है कि पहले की तुलना में प्रदेश में सैंपलिंग बढ़ी है। बैकलॉग के अंतर को खत्म करने पर सरकार व स्वास्थ्य विभाग की ध्यान देना होगा।
आपको बता दे की अभी तक प्रदेश में कुल 1,10,992 सैंपल की जांच की जा चुकी है, जिसमे चंपावत, देहरादून और उत्तरकाशी में सबसे ज्यादा जांचे हुई है। कई एक्सपर्ट्स का कहना है की अभी भी राज्य में कोरोना की टेस्टिंग बहुत काम हो रही है और इससे अभी काफी बढ़ाने की जरूरत है। टेस्टिंग की गाति को बढ़ाने के साथ साथ बैकलॉक को भी जल्दी क्लियर करना होगा। ताकि संक्रमितों को आबादी से दूर कर सामुदायिक संक्रमण के ख़तरे को काम किया जा सके।