नैनीताल: चारधाम देवस्थानम अधिनियम को लेकर हाईकोर्ट से प्रदेश सरकार को बड़ी राहत मिली है। मामले में मंगलवार को सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ राज्यसभा सांसद व भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी को झटका देते हुए अधिनियम को संवैधानिक करार दिया है। इस अहम फैसले के बाद प्रदेश सरकार को बड़ी राहत मिली है।
चारधाम और उनके आसपास के 51 मंदिरों में अवस्थापना सुविधाओं का विकास, समुचित यात्रा संचालन एवं प्रबंधन के लिए उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम का गठन किया गया है। बोर्ड के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे। संस्कृति मामलों के मंत्री को बोर्ड का उपाध्यक्ष बनाया गया है। मुख्य सचिव, सचिव पर्यटन, सचिव वित्त व संस्कृति विभाग भारत सरकार के संयुक्त सचिव स्तर तक के अधिकारी पदेन सदस्य होंगे।
इसके अलावा टिहरी रियासत के राजपरिवार के एक सदस्य, हिंदू धर्म का अनुसरण करने वाले तीन सांसद, हिंदू धर्म का अनुसरण करने वाले छह विधायक, राज्य सरकार द्वारा चार दानदाता, हिंदू धर्म के धार्मिक मामलों का अनुभव रखने वाले व्यक्ति, पुजारियों, वंशानुगत पुजारियों के तीन प्रतिनिधि इसमें शामिल होंगे। चारधाम देवस्थानम अधिनियम चारधाम और उनके आसपास के मंदिरों की व्यवस्था में सुधार के लिए है। मकसद ये है कि यहां आने वाले यात्रियों का ठीक से स्वागत हो और उन्हें बेहतर सुविधाएं मिलें। साथ ही बोर्ड भविष्य की जरूरतों को भी पूरा करे।
देवस्थानम अधिनियम के विरोध में सुब्रमण्यम स्वामी ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। इसमे कहा था कि सरकार द्वारा लाया गया यह एक्ट असंवैधानिक है और संविधान के अनुच्छेद 25,26 और 32 और जनभावनाओं के विरुद्ध है। जबकि सरकार की ओर से कहा गया था कि यह अधिनियम संवैधानिक है और सरकार को इसका अधिकार है। इस मामले में रुलक संस्था ने भी सरकार के अधिनियम का समर्थन करते हुए स्वयं पक्षकार का प्रार्थना पत्र दाखिल किया था। मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने फैसला सुनाते हैं अधिनियम को संवैधानिक करार दिया है।