नैनीताल: मातृत्व अवकाश पर नैनीताल हाईकोर्ट ने बढ़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार की सेवा में तीसरा बच्चा होने पर मातृत्व अवकाश देने के प्रावधान को निरस्त कर दिया है। हल्द्वानी निवासी नर्स की याचिका पर एकलपीठ के यह फैसला सुनाया। बता दें कि इस फैसले पर सरकार ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी और स्पेशल अपील दायर की थी। इस पर सुनवाई के बाद अदालत ने तीसरे बच्चे के लिए छुट्टी ना देने का फैसला दिया।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की संयुक्त खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद उत्तराखण्ड सरकारी व निजी कंपनी में जॉब कर रही महिला को तीसरे बच्चे के लिए मातृत्व अवकाश नहीं मिलेगा। बता दें कि हल्द्वानी निवासी नर्स उर्मिला मसीह ने तीसरी संतान पर मातृत्व लाभ के तहत अवकाश नहीं मिलने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसके तहत तय नियमों का हवाला देते हुए नर्स की याचिका में कहा गया था कि सरकार का बनाया नियम संविधान के अनुच्छेद-42 के मूल-153 तथा मातृत्व लाभ अधिनियम की धारा-27 का उल्लंघन करता है।
एकलपीठ ने 2018 में इस अधिनियम को अवैधानिक घोषित कर दिया था। यानि तीसरी संतान होने पर भी मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत अवकाश का लाभ मिलने लगा था। इसके बाद सरकार ने एकलपीठ के इस आदेश के खिलाफ विशेष अपील दायर की थी। सरकार की ओर से विशेष अपील में दिए गए तर्कों को स्वीकार करते हुए संयुक्त खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश को निरस्त कर दिया। इसके साथ ही याचिका निस्तारित कर दी है।
कोर्ट के इस फैसले के बाद प्रदेश सरकार की सेवा में कार्यरत महिलाओं को दो बच्चों के बाद मातृत्व लाभ अधिनियम के प्राविधानों के तहत अवकाश का लाभ नहीं मिलेगा। बता दें, हाईकोर्ट की डबल बेंच ने सरकार का पहले का प्रावधान निरस्त किया है। एकलपीठ के फैसले को चुनौती देते हुए सरकार ने स्पेशल अपील दायर की थी।