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फिर खस्ता हुई परिवहन निगम की हालत, डिपो के पास नहीं डीजल तक के रुपए


हल्द्वानी: परिवहन निगम की आर्थिक हालत पिछले साल से ही किस तरीके की रही है, ये तो उससे जुड़ी समाचारों की हेडलाइनों से ही अंदाजा लगाया जा सकता है। ये किसी से नहीं छिपा कि रोडवेज बहुत घाटे में चल रहा था। जैसे ही सब सही होने लगा वैसे ही फिर से कोरोना ने अपना कहर शुरू कर दिया। अब रोडवेज बसों के पहियों पर फिर ब्रेक लग गए। इसका असर हर डिपो पर पड़ा है। आय लाखों से सीधे हज़ारों पर आ गई है। कोरोना की रफ्तार तेज़ हुई है तो बसों के संचालन पर रोक लगी है।

बता दें कि अप्रैल लास्ट तक कुमाऊं के दूसरे सबसे बड़े डिपो की रोजाना करीब 12 लाख की इनकम आ रही थी। मगर अब बसों का संचालन सिर्फ कुमाऊं में होने के कारण रोजाना की इनकम 11 लाख 30 हजार रुपये गिरकर 70 हजार तक पहुंच गई है। हालत इतनी खराब हो गई है कि कुछ रूटों पर तो बसों को चलाने के लिए डीजल तक के रुपए नहीं निकल पा रहे हैं।

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सरकार ने हाल ही में कोरोना के मद्देनजर निर्देश दिए थे जिसके तहत बसों को दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब आदि बाहरी राज्यों में अब नहीं भेजा जा रहा है। अब राजधानी सेवा भी बंद हो गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि देहरादून जाने के लिए भी उप्र से होकर जाना पड़ेगा और उत्तरप्रदेश ने बाहरी बसों के संचालन पर रोक लगा दी है। ऐसे में रोडवेज की कमाई भी डाउन हो गई।

हालांकि आरएम कुमाऊं ने अनुबंधित बसों के संचालन पर पूरी तरह ब्रेक लगा दिया है। जिसकी वजह से घाटा कम हुआ वरना हालत और खस्ता हो सकती थी। इसके अलावा केमू बसें भी बीते सात दिनों नहीं चली हैं। 400 बसों का संचालन इसलिए बंद है क्योंकि किराए के विवाद को अबतक सुलझाया नहीं जा सका। वहीं, केमू का संचालन बंद होने की वजह से रोडवेज को पहाड़ की सवारियां ज्यादा मिलने लगी। अगर केमू चलती तो रोडवेज का घाटा और बढ़ता।

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