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उत्तराखंड: टॉपर आंचल को सलाम,जंगल में बकरियां चराकर पढ़ाई की और हासिल किए 92.6 प्रतिशत अंक


देहरादून: उत्तराखंड बोर्ड परीक्षाओं में बेटियां फिर से आगे रही हैं। नतीजे आए कई दिन बीत गए हैं लेकिन संघर्ष की कहानियां खत्म नहीं हो रही है। आज हम आपके बीच 12वीं की परीक्षा में पूरे उत्तराखंड में 24वीं रैंक हासिल करने वाली आंचल की कहानी लेकर आए हैं। आंचल पढ़ाई के अलावा अपने माता-पिता का घर के कामों में हाथ भी बंटाया और जब परीक्षाफल सामने आया तो हर कोई उन्हें सलाम कर रहा है।

आंचल की कहानी

गढ़वाल के गांव सीरों, कल्जीखाल की छात्रा आंचल ने 12वीं की परीक्षा में 92.6 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। उन्हें पूरे उत्तराखंड में 24वां स्थान हासिल हुआ है। आंचल के पिता का नाम भरत सिंह हैं जो गांव में मजदूरी करते हैं। मां का नाम संगीता देवी है जो एक गृहणी हैं। परिवार आर्थिक तंगी में रहा है और आंचल बचपन से ये सब देख रही है। आंचल पढ़ाई के साथ-साथ घास और लकड़ी काटने जैसे तमाम काम करती है। यहीं नहीं वह बकरियों को चराने के लिए जंगल भी जाती है।

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किताबे जंगल लेकर जाती थी

आंचल इंटरमीडिएट कॉलेज रमाडांग की छात्रा है। उन्होंने इतिहास भी रचा है। वह स्कूल की पहली छात्रा हैं जिन्होंने मैरिट लिस्ट में जगह बनाई है। प्रधानाचार्य महेश चंद्र शाह ने इस संबंध में जानकारी दी। आंचल की कामयाबी के बाद उन्हें और पूरे परिवार को स्कूल की ओर सम्मानित भी किया गया। आंचल ने साबित कर दिया कि जिंदगी संघर्षों से भरी है और कुछ करना है तो इससे डरने के बजाय सामना करना होगा। आंचल एक शिक्षिका बनना चाहती हैं, ताकि वह उन बच्चों की मदद कर सकें, जिन्हें आर्थिक तंगी पढ़ाई से दूर कर देती है। बेटी की इस कामयाबी से माता-पिता खुश भी हैं और भावुक भी। उन्होंने बताया कि आंचल बकरियों को जब चराने जाती है तो अपने साथ किताबे भी लेकर जाती है ताकि वह पढ़ाई कर सके।

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