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उत्तराखंड BJP का भरोसेमंद चेहरा हैं तीरथ सिंह रावत,विधायक,सांसद के बाद CM बने


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हल्द्वानी: उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री के रूप में तीरथ सिंह रावत बुधवार शाम को शपथ लेंगे। त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे के बाद विधायक दल की बैठक में उन्हें नेता चुना गया है। ये फैसला काफी चौकाने वाला था। उनका नाम मुख्यमंत्री की रेस में ही शामिल नहीं था लेकिन जब ऐलान हुआ तो सभी हैरान हो गए। बता दें कि सीएम की रेस में सतपाल महाराज, अजय भट्ट, धन सिंह रावत और रमेश पोखरियाल निशंक का नाम भी आगे चल रहा था।

तीरथ सिंह रावत के करियर पर नजर डाले तो वह भाजपा के एक भरोसेमंद चेहरा हैं। वह विधायक से लेकर सांसद भी बने। तीरथ सिंह रावत उत्तराखंड के अस्तित्व में आने के बाद के बाद राज्य के पहले शिक्षा मंत्री बने थे। साल  2007 में तीरथ सिंह रावत भारतीय जनता पार्टी के उत्तराखंड राज्य के प्रदेश महामंत्री चुने गए थे। इसके बाद उन्हें प्रदेश चुनाव अधिकारी और प्रदेश सदस्यता प्रमुख की जिम्मेदारी भी दी गई।

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साल 2013 उत्तराखंड दैवीय आपदा प्रबंधन सलाहकार समिति के अध्यक्ष रहे और साल 2012 में चौबटाखाल विधानसभा से विधायक चुने गए। फिर उन्हें साल 2013 में भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया गया। 2019 के हिमाचल चुनावों के लिए उन्हें चुनाव प्रभारी भी बनाया गया था।

तीरथ सिंह रावत का जन्म 9 अप्रैल 1964 को पौड़ी गढ़वाल जिले में हुए था। वे समाजशास्त्र में मास्टर डिग्री रहते हैं और उनके पास पत्रकारिता का डिप्लोमा भी है. सिर्फ 20 साल की उम्र में तीरथ RSS के लिए प्रांत प्रचारक बन गए थे> वे 90 के दशक में रामजन्मभूमि आंदोलन से जुड़े थे और 2 साल तक जेल में भी रहे। उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान रामपुर तिराहा कांड के विरोध में उन्होंने एक बड़ा शान्ति मार्च भी निकाला था।

राजनीतिक करियर की शुरुआत

बता दें कि सांसद तीरथ सिंह रावत साल 1983 से 1988 तक वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक भी रहे हैं। इसके अलावा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (उत्तराखण्ड) के संगठन मंत्री और राष्ट्रीय मंत्री भी उन्हें बनाया गया। तीरथ सिंह रावत हेमवती नंदन गढ़वाल विश्व विधालय में छात्र संघ अध्यक्ष और छात्र संघ मोर्चा (उत्तर प्रदेश) में प्रदेश उपाध्यक्ष भी रहे थे। इसके बाद भारतीय जनता युवा मोर्चा (उत्तर प्रदेश) के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी रहे थे। इसके बाद 1997 में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य निर्वाचित हुए और विधान परिषद में विनिश्चय संकलन समिति के अध्यक्ष भी बनाए गए थे। वह त्रिवेंद्र सिंह रावत से अपने कॉलेज के दिनों में ही मिले। दोनों ने लंबे वक्त तक पार्टी व आरएसएस के लिए काम किया।

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