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उत्तराखण्ड क्रिकेट : पहले कोच का हक मारा अब खिलाड़ियों के मारने की तैयारी !


हल्द्वानी: पंकज पांडे: क्रिकेट को लेकर उत्तराखण्ड प्रतिभाओं का धनी रहा है। 18 सालों से राज्य बीसीसीआई से क्रिकेट मान्यता के लिए लड़ता रहा लेकिन युवाओं ने दूसरों स्टेट से खेलते हुए अपने राज्य का नाम रोशन किया। इस लिस्ट में पवन नेगी, उन्मुक्त चंद , मनीष पांडे, आर्यन जुयाल, कमलेश नगरकोटी, मंयक रावत, कुनाल चंदेला, सौरभ रावत और अनुज रावत मौजूद हैं।

18 जून को उत्तराखण्ड क्रिकेट को मान्यता दे दी और उसके संचालन के लिए उत्तराखण्ड क्रिकेट कंसेस कमेटी का गठन किया। उत्तराखण्ड को मान्यता दिलाने में मुख्य रोल सुप्रीमकोर्ट की ओर से गठित क्रिकेट प्रशासक समिति के कर्ताधर्ता व पूर्व सीएजी विनोद राय ने निभाया है। उत्तराखण्ड की टीम 18 सितंबर को  अपने घरेलू क्रिकेट करियर का आगाज करेगी। रणजी के लिए टीम जल्द चुनी जाएगी, जिसके लिए 27 अगस्त से पंजीकरण होंगे और ट्रायल 30 अगस्त तक देहरादून स्थित अभिमन्यु क्रिकेट एकेडमी में होंगे। ट्रायल के लिए कमेटी पिछले एक साल में खेले गई जिला प्रतियोगिताओं का रिकॉर्ड देख रही है। मान्यता मिलने के बाद टीम व कोच चयन को लेकर सामने आए फैसलों ने राज्य में मौजूद क्रिकेट फैंस का रुख सख्त किया है। पहले कोच और अब टीम में तीन बाहरी खिलाड़ियों को जगह देने पर तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं।

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राज्य के पास कोच नहीं !

मान्यता मिलने के बाद उम्मीद जगी कि अब युवाओं को अपने राज्य से खेलने का मौका मिलेगा लेकिन अब कुछ और होने लगा है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि कुछ चीजे उत्तराखण्ड के फैंस व क्रिकेट विशेषज्ञों के समझ से परे है। राज्य पहली बार घरेलू क्रिकेट में कदम रखेगा, क्या उसके प्रदर्शन पर नजर रखने के बजाए खिताब जीतने के सपने देखना कहां तक उचित है? पहले फैसला लिया गया कि राज्य की क्रिकेट टीम के कोच और ट्रेनर भी राज्य से नहीं होंगे। ऐसा इसलिये क्योंकि अभी राज्य में किसी के पास ऐसी योग्यता नहीं है।

अब सवाल ये उठता है कि बिना परीक्षा दिए कैसे आंकलन किया जा रहा है कि राज्य के पास योग्य कोच नहीं है। क्या सच में उस राज्य के पास कोच नहीं है जिनके खिलाड़ियों ने दूसरे स्टेट से खेलते हुए राज्य का नाम रोशन किया। कोच की परिभाषा की बात करें तो वो खिलाड़ियों की प्रतिभा का चयन करता है, प्रदर्शन खिलाड़ियों को ही करना होता है।  फिलहाल ये बात सामने आ रही है कि राज्य में मौजूद बीसीसीआई लेवल कोच को टीम में सहायक कोच की भूमिका मिल सकती है।

तीन प्रो खिलाड़ियों को दी गई है जगह

भारतीय क्रिकेट का ढांचा मजबूत हो रहा है जहां फिटनेस को एक बहुत बड़ा हथियार माना जाता है। लेकिन उत्तराखण्ड टीम के चयन से पहले कुछ फैसले सभी को चौका रहे हैं। उत्तराखण्ड की टीम में प्रो खिलाड़ियों के तौर पर रजत भाटिया,विनीत सक्सेना और मलोलन रंगराजन पर जोड़ा गया है।

रिकॉर्ड पर नजर

रजत भाटिया
38 साल के रजत भाटिया दिल्ली के खिलाड़ी हैं। आईपीएल में भाटिया दिल्ली के साथ ही तमिलनाडु के लिए भी प्रथम श्रेणी मुकाबले खेल चुके हैं। वहीं आईपीएल में दिल्ली डेयरडेविल्स, कोलकाता नाइट राइडर्स, राजस्थान रॉयल्स, राइजिंग पुणे के लिए खेल चुके हैं। अभी तक 104 प्रथम श्रेणी (मल्टीपल डेज) मैचों में रजत भाटिया 150 पारियों में 5782 रन बना चुके हैं। इसमें 14 शतक और 28 अर्धशतक हैं। वनडे के 108 मैचों की 96 पारियों में भाटिया के 2861 रन हैं। वहीं गेंदबाजी में प्रथम श्रेणी के 104 मैच में 131 विकेट, वनडे के 108 मैचों में 85 और टी-20 के 140 मैचों में 105 विकेट भाटिया ले चुके हैं।

विनीत सक्सेना
राजस्थान के लिए पारी की शुरुआत करने वाले विनीत सक्सेना का जन्म गोवा में हुआ है। 37 साल के विनीत सक्सेना 1998-99 में रणजी ट्रॉफी में पदार्पण किया था। दाएं हाथ के बल्लेबाज विनीत सक्सेना प्रथम श्रेणी के 120 मैचों की 212 पारियों में 7092 रन बना चुके हैं। इसमें 15 शतक और 38 अर्धशतक विनीत ने लगाए हैं। 257 रन उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर हैं। वहीं वनडे के 14 मुकाबलों में विनीत ने 361 रन बनाए हैं।

मलोलन रंगराजन
तमिलनाडु के मलोलन रंगराजन चेन्नई में पैदा हुए हैं। 29 साल के रंगराजन तमिलनाडु के लिए रणजी ट्रॉफी में खेल चुके हैं। इसके साथ ही साउथ जोन, वीबी थिरुवल्लूर वीरंस के खिलाड़ी रह चुके हैं। मध्य प्रदेश के खिलाफ साल 2011 में रणजी ट्रॉफी में पदार्पण करने वाले रंगराजन दाएं हाथ के बल्लेबाज और ऑफ स्पिन गेंदबाज हैं। प्रथम श्रेणी के 38 मैचों की 49 पारियों में रंगराजन अभी तक 1251 रन बना चुके हैं, इसमें 131 रन उनका उच्चतम स्कोर है। वहीं 38 मैचों में रंगराजन 119 विकेट चटका चुके हैं। इसमें 135 पर 7 विकेट उनको एक पारी में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।

क्या कहते हैं फैंस

उत्तराखण्ड के फैंस बाहर के तीन खिलाड़ियों को हिस्सा बनाने के फैसले से खुश नहीं है। हल्द्वानी के पीयूष वर्मा कहते हैं कि अपने क्रिकेट के सपने को मुझ जैसे कई खिलाड़ियों ने अपनी आंखों के सामने मरते देखा है। जब मान्यता मिली तो खुशी हुई कि राज्य के खिलाड़ियों को बड़े मंच में खेलने का मौका मिलेगा लेकिन बाहर के 38 और 37 साल के खिलाड़ियों को टीम में जगह देना युवाओं के हक मारने जैसा होगा। रजत भाटिया अपने राज्य के लिए शानदार खिलाड़ी रहे हैं उनका अनुभव टीम के लिए काम आ सकता है। लेकिन बाकि दो खिलाड़ियों ने कोई ऐसा काम नहीं किया जा जो उन्हें अपने बच्चों के स्थान पर जगह दी जाए।

वहीं लोकेश पांडे कहते हैं कि राज्य बनने के बाद लड़ाई अपने बच्चों को खिलाने के लिए हो रही थी कि लेकिन अब कुछ और हो रहा है जो युवाओं के मनोबल को गिरा सकता है और वह नकारात्मक सोचने पर मजबूर हो  सकते हैं। तीन गेस्ट खिलाड़ियों को जोड़ने से पैसा भी अधिक खर्च होगा जिसका इस्तेमाल राज्य की खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देने में किया जा सकता है।

इस मामले में स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट गौरव अग्रवाल कहते हैं कि इस मामले में दो पहलू हैं। एक टीम को अनुभव देना और दूसरा फैंस का भावुक होना। राज्य की टीम का यह पहला सीजन था और राज्य के पास जितने सोर्स है उनका इस्तेमाल किया जा सकता था। राज्य के कई खिलाड़ी दूसरे स्टेट से खेल रहे हैं उन्हें बुलाया जा सकता है। पहले सीजन में प्रदर्शन के आधार पर बाद में एक्सपेरिमेंट किया जा सकता था।

भारतीय क्रिकेट जिस तेजी से आगे बढ़ रहा है वहां फिटनेस एक बड़ा रोल अदा करता है। टीम में शामिल किए गए रजत भाटिया अपने वक्त के शानदार खिलाड़ी रहे हैं और उनका अऩुभव टीम के काम आ सकता है। लेकिन उनकी व विनीत सक्सेना की उम्र थोड़ा संशय पैदा करती है। मलोलन रंगराजन का इतना बड़ा नाम ना होना उत्तराखण्ड के फैंस को खल रहा है। वहीं उन्होंने कहा कि तीन की जगह एक गेस्ट खिलाड़ी अनुभव के लिए काफी था।

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