Uttarakhand News

ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम का कोच है उत्तराखण्ड का मानवेंद्र बिष्ट, बढ़ रहा है पहाड़ का स्वाभिमान


देहरादून: क्रिकेट से उत्तराखण्ड को जुदा करना काफी मुश्किल है। पिछले कुछ वक्त से क्रिकेट और राज्य का कनेक्शन मजबूत हुआ है। राज्य कुछ खिलाड़ियों ने बिना बीसीसीआई की मान्यता के बाद भी भारतीय टीम में जगह बनाई। और अब उत्तराखण्ड के 18 सालों का सपना साकार हुआ है। पहाड़ की टीम पहली बार रणजी में शिरकत करेगी। कुछ युवा अपनी प्रतिभा को लोहा मनवाकर भारतीय टीम काे एंट्री डोर पर खड़े है। अभी तक उत्तराखण्ड अपने खिलाड़ियों पर गर्व करता था जो देश विदेशों में अपनी प्रतिभा का जलवा बिखेर रहे थे।  उत्तराखण्ड का बेटा अपने राज्य में ना रहने के बाद भी उसके नाम को रोशन कर रहा है। जो चीजे उसने देवभूमि से सीखी उसका लोहा वो विदेश में मनवा रहा है। इस ऐसा एक खिलाड़ी नहीं कोच कर रहा है। उत्तराखण्ड का ये बेटा क्रिकेट में अपनी धाक जमाने वाली ऑस्ट्रेलिया को क्रिकेट के गुर सिखा रहे हैं। मानवेंद्र बिष्ट को ये जिम्मेदारी साल की शुरूआत में फरवरी में मिली थी।

Related image

कोटद्वार (उत्तराखंड) के रहने वाले मानवेंद्र बिष्ट ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट बोर्ड क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया की अंडर 9, अंडर 14 बालक टीम और अंडर 13 बालिका टीम के कोच की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। खास बात यह है कि हाल में क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया से संबद्ध सिडनी सिक्सर्स की ओर से जूनियर टीमों के लिए आयोजित बिग बैश लीग में मानवेंद्र की कोचिंग में गार्डोन डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट क्लब की अंडर-13 बालिका टीम ने खिताब हासिल किया।

Join-WhatsApp-Group

मौजूदा वक्त में बिष्ट सिडनी में है। मानवेंद्र ने सेंट जोसफ कॉन्वेंट और डीएवी पब्लिक स्कूल कोटद्वार से उनकी स्कूली शिक्षा पूरी हुई। स्कूली पढ़ाई के साथ ही क्रिकेट का शौक बढ़ता गया। उन्होंने डॉ. पीतांबर दत्त बड़थ्वाल राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय से बीएससी किया। इसी दौरान कॉलेज की क्रिकेट टीम में चयन हुआ और गढ़वाल विश्वविद्यालय की टीम में कई बार प्रतिनिधित्व किया। एमसीए के बाद गुरुग्राम में आईटी जॉब के दौरान कई कारपोरेट टूर्नामेंट में प्रतिभाग किया। मानवेंद्र ने बताया कि ऑस्ट्रेलियाई बच्चों में क्रिकेट का जज्बा बचपन से ही होता है। इसे और बढ़ाने में क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया से मिलने वाली सुविधाएं भी बड़ी मदद करती हैं। उन्होंने बताया कि ऑस्ट्रेलियाई बच्चे ‘बैकफुट’ में सबसे मजबूत होते हैं। इसकी एक वजह ऑस्ट्रेलिया में हरे घास के मैदान और एस्ट्रोटर्फ पिच पर अभ्यास करना है।

To Top