Khushi Nautiyal Story:-आज के इस दौर में आपको हर शख्स अपने आप में और अपने कामों में मसरूफ़ नजर आएगा। इस तेज भागती दुनिया में बहुत कम ऐसे लोग नजर आते हैं जो दूसरों के दर्द में उनका सहारा बनते हैं। दुनिया में ऐसे बहुत कम लोग हैं जो निस्वार्थ भाव से बेसहारों की मदद करते हैं। ऐसे ही चुनिंदा लोगों में शामिल है उत्तरकाशी की बेटी खुशी नौटियाल।
ज्ञानसू वार्ड संख्या 10 की निवासी खुशी नौटियाल, रामचंद्र उनियाल राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय उत्तरकाशी में बीएससी की छात्रा हैं। खुशी पिछले 6 सालों से बेजुबान और घायल जानवरों की सेवा कर रही हैं। जब भी वो कहीं लावारिश कुत्तों को घायल या बीमार देखती तो उन्हें अपने घर ले जाकर इलाज करती है। खुशी ने बताया कि बेजुबान जानवरों की मदद करना केवल उनका शौक ही नहीं है बल्कि वो इसे अपनी जिम्मेदारी भी मानती है।
खुशी हादसों में घायल और बीमार पड़े कुत्तों का इलाज करती है और जरूरत पड़े तो उन्हें अपने घर ले जा कर उनकी सेवा भी करती है। इस काम में खुशी के घर वाले भी उसका साथ देते हैं। खुशी बताती हैं कि वो नौंवी कक्षा से इस काम में जुटी हुई है। शुरुआत में आस पड़ोस के लोगों के कहने पर खुशी के घर वाले उसे टोकते भी थे परंतु बेजुबानों का दर्द और खुशी के मन में उनके लिए सेवा भाव देखकर वह भी अब अपनी बेटी का साथ देते हैं। बता दिया जाए कि अब तक खुशी 100 से भी ज्यादा घायल और असहाय कुत्तों की मदद कर चुकी हैं।
वो कहती हैं कि जो बोल सकता है, उसकी मदद तो कोई भी कर सकता है, लेकिन बेजुबान जानवर मदद नहीं मांग सकते हैं। वे जब भी कॉलेज, बाजार या एनसीसी के प्रशिक्षण के लिए जाती हैं तो वो सड़क और गली में कुत्तों के हाल पर नज़र जरूर डालती हैं। उनके इस काम में उनकी छोटी बहन खुशहाली, मां विजयलक्ष्मी और शिक्षक पिता सुरेंद्र नौटियाल भी सहयोग करते हैं।उनकी मां बताती है कि जहां वह पहले घर के केवल चार सदस्यों के लिए खाना बनाती थी वहां वह अब इन सभी बेजुबानों के लिए भी खाने का इंतजाम करती है।
एक छोटी सी उम्र से इस सेवा भाव को अपने मन में जागृत करने वाली खुशी बताती है की इन जानवरों की दवाइयां और इलाज के खर्चे के लिए वो ट्यूशन पढ़ाकर पैसा जुटाती हैं। इस मतलबी दुनिया में जहां लोग अपने दर्द के सिवा किसी और का दर्द नहीं पहचानते वहां खुशी जैसे लोग इंसानियत की मिसाल पेश कर रहे हैं।