Uttarkashi News: उत्तरकाशी के सिलक्यारा में ऑपरेशन सफल रहा। 41 श्रमिकों को बाहर निकालने में जुटा प्रशासन, एजेंसिया और रैट माइनर्स टीम को सफलता मिली। हर कोई खुश है। 140 करोड़ लोगों ने 41 श्रमिकों के लिए भगवान से प्रार्थना की थी और उसे भगवान ने सुन लिया। सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों में टनकपुर के छीनीगोठ पुष्कर सिंह ऐरी भी शामिल थे। उनके परिजन पिछले 17 दिनों से पुष्कर की सलामती की दुआ मांग रहे थे। दिवाली के दिन हुए हादसे ने पूरे राज्य को सकते में डाल दिया था लेकिन कुछ दिनों में जब श्रमिक बाहर नहीं आए तो घबराहट बढ़ गई और फिर पूरे देश की नजर सुरंग पर थी।
टनकपुर के पुष्कर के सुरंग से बाहर आने के बाद गांव में खुशी का माहौल है। फिलहाल सभी श्रमिक हॉस्पिटल में हैं और उनके स्वास्थ पर डॉक्टरों की टीम निगरानी कर रही है। पुष्कर के बड़े भाई विक्रम ऐरी ने 28 नवंबर को पुष्कर के बाहर आने की खुशखबरी परिवार को दी तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। दिवाली नहीं मना सका परिवार अब बेटे के घर आने के बाद त्य़ोहार मनाने की तैयारी कर रहा है। पुष्कर के पिता राम सिंह ऐरी व माता गंगा देवी बेटे के सुरंग में फंसने की खबर मिलने के बाद से ही सदमे मे थे। उन्हें 13 नवंबर को अपने बेटे के सुरंग में फंसा होने की जानकारी मिली थी। 15 नवंबर को पुष्कर के बड़े भाई विक्रम सिंह ऐरी सिल्क्यारा पहुंच गए थे और तब से वहीं थे।
उत्तरकाशी की निर्माणाधीन सिलक्यारा टनल में 12 नवंबर से फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए मंगलवार की दोपहर में जैसे ही उल्टी गिनती शुरू हुई वैसे ही अन्य मजदूरों के स्वजनों की तरह चंपावत जनपद के टनकपुर निवासी पुष्कर सिंह ऐरी के माता पिता के चेहरे खिल गए। परिजनों ने कहा कि उनका बेटा सुरक्षित घर पहुंचेगा तो वे अपने ईष्ट देवता नौल देवता की पूजा करने अपने गांव कनालीछीना के सिनखोला जाएंगे।