पिथौरागढ़ : 19 मार्च 2018 : उत्तराखंडी न केवल हिंदुस्तान में बल्कि पूरी दुनिया में अपने शौर्य और पराक्रम के लिए जाने जाते हैं । समय समय पर उत्तरखंड की कुमाऊँ और गढ़वाल राइफल्स के वीरों ने दुश्मन को जंग के मैदान में धूल चटाई है । उत्तराखंड के कई गाँव तो ऐसे हैं जहाँ हर घर से कोई न कोई सेना में है । देश प्रेम और शौर्य में उत्तराखंडियों का कोई मुक़ाबला नहीं है । आज हम बात करेंगे उत्तराखंड के उस वीर बेटे की जिसने कांगो आपरेशन में अपनी जान खतरे में डालकर पूरी यूनिट को बचाया था और अपने इसी पराक्रम के कारण उन्हे वाले वीर चक्र मिला था ।
उत्तराखण्ड के लिए दुखद समाचार हैं वीर चक्र विजेता देवजंग साही का 97 साल की उम्र में निधन हो गया। मूल रूप से पिथौरागढ़ तहसील के चिराली गांव निवासी वर्तमान में पिथौरागढ़ के भाटकोट रोड में रहने वाले वीर चक्र विजेता कैप्टन देवजंग साही अपनी वीरता के लिए जाने जाते थे। पचास के दशक में कांगो में संकट हो गया था। इस अभियान में भारत की सेना भेजी गई। जिसमें सूबेदार देवजंग साही भी शामिल थे। कांगो आपरेशन में अपनी जान खतरे में डालकर देवजंग साही ने पूरी यूनिट को बचाया था और अपने इसी पराक्रम के कारण उन्हे वाले वीर चक्र मिला था ।
कांगो अभियान में उनकी यूनिट खतरे में आ गई थी। इस मौके पर उन्होंने खुद मोर्चा संभाला और पूरी यूनिट को बचाया था। इस दौरान खुद देवजंग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उन्होंने अस्पताल में तीन वर्ष तक जिंदगी के लिए संघर्ष किया। अस्पताल से स्वस्थ होने के बाद उन्हें वर्ष 1963 में तत्कालीन राष्ट्रपति सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन ने वीर चक्र से सम्मानित किया था।