हल्द्वानी: मौजूदा वक्त में उत्तराखण्ड ने विकास के मार्ग पर चलना शुरू किया है। उत्तराखण्ड के विकास के मार्ग पर आने वाला सबसे बड़ा रोडा है पलायन। पलायन की वादी छोड़ आमदनी के लिए देवभूमि छोड़कर शहर चले गए। हम बात करते है पलायन को रोकने की, और रोजगार से अच्चा शायद ही कोई विकल्प हमारे पास है। युवा पीढ़ी ने एक बार फिर उत्तराखण्ड के कल्चर को उसकी झोली में डालने का प्रयाल शुरू किया। युवा सोशल मीडिया के माध्यम से अपने द्वारा रचि गई धुन और अपने द्वारा गाया हुआ गाना पोस्ट करते है। इससे दो काम होते है । एक तो युवाओं को अपनी प्रतिभा लोगों के सामने पेश करने का मौका मिल जाता है। दूसरा जो लोग उसे सुनते है वो अपने कल्चर को याद करते है।अब तो युवाओं ने पहाड़ी सीरियल, एक्टिंग और वाइंस भी सोशल मीडिया पर पोस्ट करना शुरू कर दिया है। उत्तराकण्ड के कई ऐसे युवा है जो सोशल मीडिया के जरिए आमदनी भी कर रहे है।
पलायन के बाद लोग सालो में अपने घर आते है। ज्यादातर शादियों के सीज़न में। उत्तराखण्ड में शादियां अपने कल्चर के लिए विदेशों में भी विख्यात है। गढ़वाली हो या कुमाऊंनी लोग एक बार पहाड़ी शादी में आमंत्रण पाने का इंतजार करते है। ऐसे कई गाने है जो शादियों की रोनक पिछले गई सालों से बढ़ा रहे है। आज हम उन्हीं गानों की धुन दोबारा सुनाने जा रहे है। आप भी देखे क्या हम सही कह रहे है या नहीं ?
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